नई दिल्ली । वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय मंजूरी के लिए प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआइ) प्रस्तावों को राजस्व विभाग के पास नहीं भेजेगा। उसने एफडीआइ प्रस्तावों की मंजूरी की प्रक्रिया आसान बनाने की दिशा में यह कदम उठाया है।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने कहा है कि एफडीआइ प्रस्तावों को राजस्व विभाग में भेजने की व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
इससे देश में कारोबारी सुगमता भी सुधरेगी। अभी तक सभी प्रस्तावों को राजस्व के नजरिये से अध्ययन के लिए संबंधित विभाग के पास भेजा जाता था।
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) को खत्म करने के बाद सरकार ने जून में एफडीआइ प्रस्तावों को मंजूरी के लिए प्रक्रिया तैयार की थी।
इसके प्रक्रिया के तहत सरकार एफडीआइ प्रस्तावों पर अधिकतम दस सप्ताहों के भीतर फैसला करेगी। बीते वित्त वर्ष 2016-17 में भारत में एफडीआइ नौ फीसद बढ़कर 43.48 अरब डॉलर हो गया था।
भारतीय कंपनियों का विदेश में निवेश घटा : रिजर्व बैंक के अनुसार सितंबर में भारतीय कंपनियों का विदेशों में निवेश 39.3 फीसद घटकर 2.65 अरब डॉलर रह गया। घरेलू कंपनियों ने पिछले साल सितंबर में 4.37 अरब डॉलर का निवेश दूसरे देशों में किया था।
इस साल अगस्त में इन कंपनियों का विदेशों में निवेश 1.34 अरब डॉलर रहा था। ये निवेश सहायक कंपनियों या संयुक्त उपक्रमों में किया गया। सितंबर में 2.65 अरब डॉलर निवेश शेयर हिस्सेदारी, कर्ज और भारतीय कंपनियों की ओर से गारंटी के रूप में था।