नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजारों में निवेश का प्रवाह इस महीने सुस्त पड़ा है। सितंबर में अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयरों में सिर्फ 8,600 करोड़ रुपये ही डाले हैं। इससे पिछले महीने एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 51,000 करोड़ रुपये डाले थे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजय कुमार ने कहा कि डॉलर में मजबूती के बीच आगे चलकर एफपीआई आक्रामक तरीके से लिवाली नहीं करेंगे।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में और वृद्धि की संभावना, मंदी की आशंका, रुपये में गिरावट और रूस-यूक्रेन तनाव बढ़ने से एफपीआई का प्रवाह प्रभावित होगा। वेल्थ एडवाइजर्स एलएलपी के सह-संस्थापक बसंत माहेश्वरी ने यह बात कही। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले अगस्त में एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 51,200 करोड़ रुपये डाले थे। जुलाई में शेयरों में उनका निवेश करीब 5,000 करोड़ रुपये रहा था।
लगातार नौ महीने तक निकासी के बाद एफपीआई जुलाई में शुद्ध लिवाल बने थे। पिछले साल अक्टूबर से एफपीआई की निकासी का सिलसिला शुरू हुआ था। अक्टूबर, 2021 से जून, 2022 तक उन्होंने शुद्ध रूप से 2.46 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। आंकड़ों के अनुसार, एक से 23 सितंबर के बीच एफपीआई ने शुद्ध रूप से 8,638 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।
इस महीने सात सत्रों में की बिकवाली
हालांकि, इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई के रुख में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इस महीने सात कारोबारी दिन उन्होंने बिकवाली की है। पिछले दो कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने शेयर बाजारों से 2,500 करोड़ रुपये की निकासी की है। विजयकुमार ने कहा कि डॉलर मजबूत होने तथा अमेरिका में बॉन्ड पर यील्ड बढ़ने से हाल के दिनों में एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है।
ब्याज दरें बढ़ा सकता है यूएस फेड
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अमेरिकी केंद्रीय बैंक के आक्रामक रुख की वजह से निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों में जोखिम उठाने से बच रहे हैं। फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि वह अगली बैठक में चौथी बार ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की वृद्धि करेगा।’’ समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में भी 5,903 करोड़ रुपये डाले हैं।