भारत की GDP ग्रोथ पहली तिमाही में 13.5 फीसदी रही, कोर सेक्टर में भी सुस्ती

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नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने बताया है कि अप्रैल से जून तिमाही के दौरान देश की विकास दर 13.5% रही जबकि पिछले साल इसी अवधि में 20.1% की वृद्धि देखी गई थी। हालांकि, इस तेजी की वजह जीडीपी का लो बेस होना था।

दरअसल, कोरोना की वजह से अप्रैल-जून 2020 तिमाही के दौरान सख्त लॉकडाउन लगा था। इस वजह से इकोनॉमी में 23 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली थी। इसके बाद जीडीपी आंकड़ों को लो बेस के आधार पर गणना किया गया तो अप्रैल-जून 2021 में जीडीपी ग्रोथ 20 फीसदी से ज्यादा पर पहुंच गई। तब भी देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर की चपेट में था और अधिकतर राज्यों में पाबंदियां थीं।

हालांकि, ताजा आंकड़े आरबीआई समेत दूसरी अन्य रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से कम हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर करीब 16.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।

इस बीच, कोर सेक्टर के आंकड़े भी जारी किए गए हैं। एक साल पहले के मुकाबले जुलाई 2022 में कोर सेक्टर के आउटपुट में सुस्ती रही और इसका ग्रोथ 4.5 फीसदी पर रहा। वहीं, जुलाई 2021 में कोर सेक्टर का ग्रोथ 9.9 फीसदी रहा था। ग्रोथ की यह दर छह महीने में सबसे कम है। कोर सेक्टर की वृद्धि दर जून में 13.2 प्रतिशत, मई में 19.3 प्रतिशत, अप्रैल में 9.5 प्रतिशत, मार्च में 4.8 प्रतिशत, फरवरी में 5.9 प्रतिशत और जनवरी में चार प्रतिशत थी।

आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर-कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह अप्रैल-जुलाई में 11.5 प्रतिशत रही। एक साल पहले 2021-22 की इसी अवधि में यह 21.4 प्रतिशत थी। वहीं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में क्रमश: 3.8 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई।

राजकोषीय घाटा: केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों यानी जुलाई के अंत तक वार्षिक लक्ष्य के 20.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है। एक साल पहले की समान अवधि में यह 21.3 प्रतिशत था। व्यय और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा बाजार से लिए गए कर्ज को भी दर्शाता है।