ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे केंद्र सरकार: मुख्यमंत्री गहलोत

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जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हाड़ौती से चम्बल, कालीसिंध, परवन नदियों का पानी व्यर्थ बहकर समुद्र में मिल जाता है। इसका सदुपयोग पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना में किया जाए तो निश्चित रूप से पूर्वी राजस्थान के 13 जिले सरसब्ज होंगे। गहलोत ने गुरुवार को कोटा, बारां जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद मीडिया से बातचीत की।

गहलोत ने कहा कि ईआरसीपी से न केवल क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा बल्कि 13 जिलों की प्यास भी बुझेगी। पेयजल के लिए वर्तमान में इस परियोजना का क्रियान्वयन आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा सर्वे कराया गया है कि ईआरसीपी में व्यर्थ बहकर जा रहे पानी से भी कम मात्रा में पानी काम में लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 9 हजार करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। ऐसे में केन्द्र सरकार को भी आगे आकर इस परियोजना के लिए सहयोग करना चाहिए तथा इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करना चाहिए।

कोटा के विकास को सराहा: मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित परिवारों से मिलने के बाद कोटा शहर के कलेक्ट्रेट सर्किल, एमबीएस व जे.के.लोन अस्पताल में निर्माणाधीन ओपीडी, विवेकानंद सर्किल, अण्टाघर सर्किल, एरोड्रम सर्किल के विकास कार्यों का अवलोकन भी किया। उन्होंने चम्बल रिवर फ्रंट के साथ ही चौराहों के सौंदर्यकरण दुर्घटना रोकने के लिए फ्लाईओवर व अंडरपास निर्माण कार्य की भी सराहना की।