नई दिल्ली। अप्रैल-जून तिमाही में भारी घाटे के बाद तीन प्रमुख सरकारी तेल कंपनियां कीमतों को बढ़ाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दी हैं। इनको 18,480 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। किसी भी एक तिमाही में यह अब तक का सबसे बड़ा घाटा है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती लागत और 6 अप्रैल के बाद से पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों को स्थिर रखने से उन्हें घाटा हुआ है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के कारण कंपनियों ने 137 दिन तक कीमतों में बदलाव नहीं किया था। हालांकि मार्च के अंत में 10 रुपये हर लीटर पर बढ़ा दिया था।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कहा, उसे अब तक का सबसे ज्यादा घाटा हुआ है जो 10,197 करोड़ रुपये रहा। जबकि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) को 6,290 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इंडियन ऑयल को 1,993 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
अप्रैल-जून में स्थिर रहीं तेल कीमतें: अप्रैल-जून में तीनों पेट्रोलियम कंपनियों ने कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया। तिमाही के दौरान आयात कच्चे तेल की कीमत 109 डॉलर प्रति बैरल रही। लेकिन खुदरा बाजार में यह 85-86 डॉलर प्रति बैरल के आधार पर बेचा गया। हालांकि तेल कंपनियां कीमतों को बढ़ाने और घटाने के लिए स्वतंत्र हैं। बावजूद इसके वे कीमतों में कोई बदलाव नहीं कर पाईं।