कोटा। आज सम्पूर्ण विश्व में यह चेतना आ गई है कि बाल्यावस्था मे बच्चों को केवल ए2 दूध ही देना चाहिये. विश्व बाज़ार में न्युज़ीलेंड, ओस्ट्रेलिया, कोरिया , जापान और अब अमेरिका मे प्रमाणित ए2 दूध के दाम साधारण ए1 डेरी दूध के दाम से कही अधिक हैं .ए2 से देने वाली गाय विश्व में सब से अधिक भारतवर्ष में पाई जाती हैं।
कृषि विश्वविद्यालय कोटा के असिस्टेंट प्रो. डॉ. एमके गर्ग ने हमारे चैनल LEN-DEN NEWS को एक भेंट में बताया कि अधिकांश विदेशी गोवंश (हॅालस्टीन, जर्सी, एच एफ आदि) के दूध में ‘बीटा कैसीन ए1’ नामक प्रोटीन पाया जाता है जिससे अनेक असाध्य रोग पैदा होते हैं। पांच रोग होने के स्पष्ट प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं –
- इस्चीमिया हार्ट ड़िजीज (रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरुद्ध होना)।
- मधुमेह-मिलाईटिस या डायबिट़िज टाईप-1 (पैंक्रिया का खराब होना जिसमें इन्सूलीन बनना बन्द हो जाता है।)
- आटिज़्म (मानसिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म होना)।
- शिजोफ्रेनिया (स्नायु कोषों का नष्ट होना तथा अन्य मानसिक रोग)।
- सडन इनफैण्ट डैथ सिंड्रोम (बच्चे किसी ज्ञात कारण के बिना अचानक मरने लगते हैं)।
विदेशी गोवंस
जैसा कि शुरू में बतलाया गया है कि विदेशी गोवंश में अधिकांश गऊओं के दूध में ‘बीटा कैसीन ए1’ नामक प्रोटीन पाया गया है। हम जब इस दूध को पीते हैं और इसमें शरीर के पाचक रस मिलते हैं व इसका पाचन शुरू होता है, तब इस दूध के ए1 नामक प्रोटीन की 67वीं कमजोर कड़ी टूटकर अलग हो जाती है और इसके ‘हिस्टिाडीन’ से ‘बी.सी.एम. 7’ (बीटा कैसो माफिन 7) का निर्माण होता है।
सात सड़ियों वाला यह विषाक्त प्रोटीन ‘बी.सी.एम 7’ पूर्वोक्त सारे रोगों को पैदा करता है। शरीर के सुरक्षा तंत्र को नष्ट करके अनेक असाध्य रोगों का कारण बनता है। विशेष जानकारी के लिए खबर के साथ दिया गया वीडियो जरूर देखिए –