कीटनाशकों और रसायनों के इस्तेमाल से चायपत्ती के निर्यात पर संकट

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नई दिल्ली। भारत में चाय (India Tea) का उत्पादन तो खूब होता है, लेकिन साथ ही यहां कीटनाशकों और रसायनों का भी खूब इस्तेमाल होता है। इसी बीच भारत के चाय उत्पादकों के लिए एक बुरी खबर आई है। बहुत अधिक कीटनाशक और रसायन का इस्तेमाल करने की वजह से भारत की चाय को नकारा जा रहा है।

भारत की चाय की खेप को इंटरनेशनल और घरेलू दोनों ही बाजारों से लौटाया जा रहा है। भारतीय चाय निर्यातक संघ (ITEA) के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। श्रीलंका में आए आर्थिक संकट के बाद भारत के पास चाय उद्योग के जरिए इंटरनेशनल मार्केट में पकड़ बनाने का मौका था, लेकिन वह मौका हाथ से निकलता जा रहा है।

हाल ही में लौटाई थी गेहूं की खेप
एक दिन पहले ही तुर्की ने भारत के गेहूं की खेप को खारिज करते हुए लौटा दिया था। तुर्की ने भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस होने की बात कही थी और उसकी खेप को वापस लौटा दिया था। पेड़-पौधों से जुड़ी बीमारी फाइटोसैनिटरी की चिंताओं के चलते तुर्की ने भारतीय गेहूं की खेप को खारिज किया गया है।

यह है वजह
पिछले कुछ सालों में चाय बागानों में ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बहुत बदलाव आ रहे हैं। कभी भारी बारिश होती है तो कभी लंबे समय तक रूखा रहता है, ऐसे में कीड़ों का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में कीटनाशक का अधिक इस्तेमाल करना पड़ता है और कई बार दवा का असर खत्म होने से पहले ही चाय की पत्तियां तोड़ ली जाती हैं। बता दें कि कीटनाशक के इस्तेमाल से 10-20 दिन बाद ही पत्तियों को तोड़ना चाहिए, वरना चाय की पत्ती पर कीटनाशक का असर रह जाता है। अगर इसका पालन नहीं किया जाता है तो कीटनाशक का असर रह जाता है।