इंडोनेशिया के पाम तेल निर्यात पर प्रतिबंध का क्षणिक असर: एफएमसीजी उद्योग

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नयी दिल्ली। खाद्य एवं स्नैक्स कारोबार से जुड़ी भारतीय एफएमसीजी कंपनियों ने इंडोनेशिया से कच्चे पाम तेल के निर्यात पर लगी पाबंदी पर चिंता जताने के साथ उम्मीद जताई है कि इस फैसले के अल्पकालिक आधार पर सिर्फ क्षणिक प्रभाव ही होंगे।

एफएमसीजी उद्योग की कई कंपनियों ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वे पाम तेल पर अपनी निर्भरता को क्रमिक रूप से कम करेंगी और खाद्य उत्पादों के लिए चावल की भूसी के तेल और बिनौला तेल जैसे विकल्पों का रुख करेंगी।

पिछले हफ्ते दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक इंडोनेशिया ने कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। पहले ही रिफाइंड तेल पर पाबंदी लगा चुके इंडोनेशिया ने अपने घरेलू बाजार में कीमतों को कम करने के लिए यह कदम उठाया है।

हालांकि भारतीय उद्योग और विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का असर अस्थायी प्रकृति का ही होगा क्योंकि इंडोनेशिया अपने पाम तेल उत्पादन का लगभग एक तिहाई ही खपत करता है।

रेटिंग एजेसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का कहना है कि इंडोनेशिया के अपने कुल पाम तेल उत्पादन का सिर्फ 40 फीसदी खपत करने से यह प्रतिबंध लंबे समय तक चलने की संभावना नहीं है। उसने कहा कि भारत दुनिया में पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक और दूसरा बड़ा उपभोक्ता देश है। भारत में खाद्य तेल की खपत का लगभग 30 फीसदी पाम तेल का है।

पार्ले प्रोडक्ट के वरिष्ठ खंड प्रमुख मयंक शाह ने भी ऐसी ही राय रखते हुए कहा कि पाम तेल जल्द खराब होने वाला खाद्य तेल है लिहाजा इंडोनेशिया को इसका निर्यात खोलना ही होगा। शाह ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि अगले 10 दिनों में इसमें कुछ बदलाव हो सकता है क्योंकि उनके लिए प्रतिबंध को लंबे समय तक जारी रखना संभव नहीं है।’’

हालांकि उन्होंने कहा कि अगर यह पाबंदी लंबे समय तक लागू रहती है तो फिर चुनौती खड़ी हो सकती है। पाम तेल का इस्तेमाल भारत में खाद्य उत्पादों से जुड़े क्षेत्रों में खूब किया जाता है। अपेक्षाकृत सस्ता होने के साथ अन्य खाद्य तेलों की तुलना में यह अधिक तापमान पर लंबे समय तक टिका रहता है। अधिकांश खाद्य कंपनियां सीपीओ का इस्तेमाल करती हैं जबकि भारत में साबुन निर्माता पीएफएडी का उपयोग करते हैं।

स्नैक्स बनाने वाली कंपनी बिकानो के मुख्य परिचालन अधिकारी पंकज अग्रवाल ने कहा कि यह भारत में सभी प्रमुख स्नैक कंपनियों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने चावल की भूसी का तेल और बिनौला तेल जैसे विकल्पों को आजमाने का सुझाव भी दिया।