रूस-यूक्रेन युद्ध से गेहूं उत्पादक किसानों को फायदा, MSP से ज्यादा हैं इस बार भाव

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नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) अभी तक जारी है। इस युद्ध के चलते दुनियाभर में कई चीजों के दामों में इजाफा हुआ है क्योंकि सप्लाई प्रभावित हुई है। गेहूं की कीमतों (Wheat Price) में भी वृद्धि हुई है, जिसका फायदा भारत के किसानों को हो रहा है। देश के कुछ हिस्सों में किसानों से गेहूं की खरीद एमएसपी (Minimum Support Price) से ज्यादा पर हो रही है। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है।

लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कुछ जगहों पर गेहूं का बाजार मूल्य 2200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में यह 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा था। पंजाब के बाजारों में किसान 2,250 से लेकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तक पर गेहूं के पुराने स्टॉक की बिक्री कर रहे हैं। अभी मिल मालिक ही मंडियों से गेहूं की खरीद कर रहे हैं।

1 अप्रैल से शुरू होगी सरकारी खरीद
इस बीच एक रिपोर्ट यह भी है कि गेहूं की घरेलू और वैश्विक कीमतों में इजाफे से उत्तर प्रदेश का गेहूं खरीद प्लान प्रभावित हो सकता है। उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होगी, जो 15 जून तक चलेगी। यह खरीद एमएसपी पर की जाएगी। यूपी सरकार की योजना आगामी रबी मार्केटिंग सीजन में 60 लाख टन गेहूं खरीदने की है। मौजूदा स्थितियों को देखकर लग रहा है कि गेहूं के एमएसपी में और इजाफा हो सकता है। ऐसे में हो सकता है कि किसान उन ग्राहकों को बिक्री करें जो उन्हें अच्छा दाम दें। हरियाणा में भी गेहूं, चना व जौ की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी। किसान निर्धारित मंडियों में एमएसपी पर बिक्री कर सकेंगे।

गेहूं निर्यात में रूस और यूक्रेन की हिस्सेदारी
दुनिया में गेहूं के कुल निर्यात में रूस और यूक्रेन की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। जहां तक भारत की बात है तो भारत के पास गेहूं का विशाल भंडार है और यह निर्यातक भी है। हाल ही में खबर आई थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते मिस्र, इजराइल, ओमान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका ने गेहूं की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए भारत से संपर्क किया है। रूस-यूक्रेन की लड़ाई से दुनिया में खाद्यान्न संकट (food crisis) खड़ा हो सकता है। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत ने वित्त वर्ष 2023 में करीब एक करोड़ टन गेहूं के निर्यात का लक्ष्य रखा है। इस साल भारत अब तक 66 लाख टन गेहूं का निर्यात कर चुका है जो 2020-21 की तुलना में तीन गुना अधिक है।