नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने होली से पहले इस बार बड़ा झटका दिया है। ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 2021-22 के लिए पीएफ जमा (EPF Accounts) पर ब्याज दर घटा दी है। इसे घटाकर 8.10% ब्याज दर को मंजूरी दी गई है, जो चार दशकों में सबसे कम है। इसे फाइनेंस मिनिस्ट्री के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इससे 6 करोड़ नौकरी पेशा लोगों को नुकसान होगा।
यह 1977-78 के बाद सबसे कम है, उस दौरान ईपीएफ पर ब्याज दर 8% हुआ करती थी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने शनिवार को हुई अपनी बैठक में 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते पर 8.1% ब्याज दर देने का फैसला किया।
बता दें कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने बीते साल मार्च में 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5% ब्याज दर तय की थी। अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय द्वारा इसकी मंजूरी दी गई और उसके बाद ईपीएफओ ने फील्ड कार्यालयों को 2020-21 के लिए ग्राहकों के खाते में ब्याज आय को 8.5% पर जमा करने के निर्देश दिए थे।
अब CBT के फैसले के बाद 2021-22 के लिए ईपीएफ जमा पर नई ब्याज दर वित्त मंत्रालय को सहमति के लिए भेजी जाएगी। EPFO सरकार द्वारा वित्त मंत्रालय के जरिए इसकी इजाजत मिलने के बाद ही ब्याज देता है। मार्च 2020 में EPFO ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 2018-19 के लिए 8.65% से घटाकर 8.5% किया था। 2019-20 के लिए ईपीएफ ब्याज दर 2012-13 के बाद सबसे कम थी, जब इसे घटाकर 8.5% कर दिया गया था।
ईपीएफओ ने 2016-17 में अपने सदस्यों को 8.65 फीसद और 2017-18 में 8.55 फीसद ब्याज दिया था। 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत से थोड़ी अधिक थी। संगठन ने 2013-14 के साथ-साथ 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत ब्याज दिया था, जो 2012-13 के 8.5 प्रतिशत से अधिक है। 2011-12 में ब्याज दर 8.25% थी।