नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने औद्योगिक घरानों के बैंक खोलने की उम्मीदों को झटका दे दिया। आंतरिक कार्यसमिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए आरबीआई ने बताया कि बड़े कॉरेपोरेट हाउस और उद्योगों के बैंक खोलने की सिफारिश पर विचार नहीं किया गया है। इसकी और समीक्षा की जाएगी।
दरअसल, कार्यसमिति ने अपनी रिपोर्ट में औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की इजाजत देने की सिफारिश की थी। इसे नामंजूर करते हुए आरबीआई ने कहा कि समिति की 33 में से 21 सिफारिशों को मामूली संशोधन के साथ मंजूरी दी गई, लेकिन कॉरपोरेट घरानों को बैंक खोलने की अनुमति अभी नहीं दी जा सकती है।
एनबीएफसी के नियामकीय ढांचे को मजबूत बनाने हुए आरबीआई ने बैंकों जैसे नियम लागू किए हैं। एनबीएफसी के प्रवर्तकों के पास अब 10 साल का यूनिवर्सल बैंक और पांच साल का लघु वित्त बैंक या भुगतान बैंक का अनुभव होना जरूरी रहेगा।
नए यूनिवर्सल बैंक खोलने के लिए न्यूनतम 1,000 करोड़ की पूंजी चाहिए होगी, जो अभी तक 500 करोड़ थी। लघु वित्त बैंकों के लिए यह सीमा मौजूदा 200 करोड़ से बढ़ाकर 300 करोड़ कर दी है। यूनिवर्सल बैंक को स्थापित होने के छह साल के भीतर और लघु वित्त बैंकों को आठ साल के भीतर खुद को सूचीबद्ध कराना होगा।
आरबीआई ने निजी बैंकों के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी सीमा में बड़े बदलाव का मंजूरी दी है। इसके तहत शुरुआती पांच साल में प्रवर्तकों को कोई भी हिस्सेदारी रखने की अनुमति होगी, जबकि 15 साल या उससे ज्यादा की लंबी अवधि में प्रवर्तकों को 26 फीसदी तक हिस्सेदारी रखनी होगी। अभी यह सीमा 15 फीसदी है।
इसका मतलब है कि संबंधित बैंक के शेयरों के बदले निवेशकों से मिली राशि का 26 फीसदी प्रवर्तकों को लगाना होगा। गैर प्रवर्तकों को अपनी हिस्सेदारी 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ाने के लिए आरबीआई से अनुमति लेनी होगी और वे 15 फीसदी तक हिस्सेदारी रख सकेंगे। शुरुआती पांच साल में प्रवर्तकों को शेयर गिरवी रखने की इजाजत नहीं होगी।
एसबीआई पर एक करोड़ जुर्माना
नियमों के पालन की अनदेखी पर रिजर्व बैंक ने एसबीआई पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने शुक्रवार को बताया कि 16 नवंबर, 2021 को जारी एक आदेश को लेकर यह कदम उठाया गया है। आरबीआई ने कहा, बैंक ने अपनी कर्जधारक कंपनियों के शेयरों को गिरवी रखकर 30 फीसदी से ज्यादा पेडअप कैपिटल बनाया था। यह नियामकीय अनुपालन के तय निर्देशों के खिलाफ है। इस पर बैंक को नोटिस जारी किया और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर जुर्माना लगाया।