नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) अक्टूबर महीने में अब तक 3,825 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुद्ध खरीदार थे। इस दौरान पिछले दो महीनों में, डेट सेगमेंट में भारी खरीदारी देखने को मिली थी। इस अवधि में सितंबर में FPI के तहत 13,363 करोड़ रुपये और अगस्त में 14,376.2 करोड़ का निवेश हुआ था। डिपॉजिटरी से मिले आंकड़ों के मुताबिक, अब तक, अक्टूबर में, एफपीआई ने 1,494 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
इस दौरान FPI में इक्विटी के तहत 2,331 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। 1 से 22 अक्टूबर के दौरान कुल नेट आउटफ्लो 3,825 करोड़ रुपये का रहा था। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “FPIs ने अक्टूबर की पहली छमाही में 5,406 करोड़ रुपये के सॉफ्टवेयर स्टॉक बेचे हैं। हालांकि, सॉफ्टवेयर कंपनियों के दूसरी तिमाही के परिणाम अच्छे थे। इससे यह एक लाभ बुकिंग का मामला स्पष्ट होता दिख रहा है। FPIs वित्तीय सेवाओं में खरीदार रहे हैं।”
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि, “FPIs ने वेट-एंड-वॉच का दृष्टिकोण अपनाया है और मुनाफा बुक करना जारी रखा है।अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा उम्मीद से जल्द दर वृद्धि के संकेत के बाद तरलता की कमी के संबंध में FPIs के बीच चिंता बनी हुई है। इसके अलावा तेल की बढ़ती कीमतों, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां जैसी चिंताएं भी हैं। जिस कारण से भारतीय इक्विटी में पर्याप्त निवेश नहीं हो पा रहा है।”
कोटक सिक्योरिटीज के हेड (इक्विटी रिसर्च-रिटेल) श्रीकांत चौहान ने कहा, “अक्टूबर से अब तक एफपीआई प्रवाह मिला जुला था। इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड में क्रमशः 617 मिलियन अमरीकी डालर, 38 मिलियन अमरीकी डालर और 679 मिलियन अमरीकी डालर का FPI प्रवाह देखा गया था। वहीं ताइवान और दक्षिण कोरिया में क्रमशः 2,956 मिलियन अमरीकी डालर और 2,472 मिलियन अमरीकी डालर के FPI आउटफ्लो देखा गया था।”