नई दिल्ली। देश में लेनदेन के तरीकों पर मोबाइल सेवाओं के रास्ते इंटरनेट की पहुंच बढ़ने का गहरा असर हुआ है। ATM से पैसे निकाल कर कैश का इस्तेमाल लगातार घट रहा है। दूसरी तरफ मोबाइल बैंकिंग और मोबाइल वॉलेट से लेनदेन तेजी से बढ़ा है। बीते सात साल में मोबाइल बैंकिंग आखिरी पायदान से पहले नंबर पर पहुंच गई।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस साल मार्च के अंत तक बैंक खातों से कुल लेनदेन (संख्या के हिसाब से) में सबसे ज्यादा 65.8% हिस्सेदारी मोबाइल बैंकिंग की रही। ATM के जरिेए सिर्फ 15.9% ट्रांजेक्शन हुए। 10.4% ट्रांजेक्शन के साथ मोबाइल वॉलेट तीसरे स्थान पर और 8% से भी कम लेनदेन के साथ पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) चौथे स्थान पर रहा।
लेनदेन के तरीकों के मामले में 2014 तक के हालात बिलकुल उलट थे। तब हर 5 में 4 लेनदेन ATM से कैश निकाल कर होता था। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में कुल लेनदेन (संख्या के हिसाब से) में सबसे ज्यादा 82.1% हिस्सेदारी ATM की थी।
आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा रकम के ट्रांजेक्शन भी मोबाइल बैंकिंग के जरिए हो रहे हैं। इस साल मार्च तक मूल्य के हिसाब से सबसे ज्यादा 71% लेनदेन मोबाइल बैंकिंग के जरिए हुए। 22.6% लेनदेन के साथ ATM इस मामले में दूसरे स्थान पर और 5.2% ट्रांजेक्शन के साथ पीओएस तीसरे स्थान पर रहा। मोबाइल वॉलेट के जरिए सिर्फ 1.2% ट्रांजेक्शन हुए। 2014 तक स्थिति इसके उलट थी। सबसे ज्यादा 87.7% ट्रांजेक्शन ATM से, जबकि मोबाइल बैंकिंग से सिर्फ 1% ट्रांजेक्शन होते थे।
लेनदेन का ट्रेंड ऐसे बदला
-2014 से मोबाइल बैंकिंग लगातार बढ़ी, लेकिन 2019 से इसमें उछाल आया।
-2017 से ATM के जरिए ट्रांजेक्शन में सालाना करीब 10% गिरावट आई।
-2014-2018 तक मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल बढ़ा, फिर गिरावट आने लगी।
-2019 से पीओएस से ट्रांजेक्शन में लगातार गिरावट आई, इससे पहले बढ़ रही थी।