नई दिल्ली। आयकर विभाग ने 2020-21 (असेसमेंट ईयर 2021-22) के लिए आईटीआर भरने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2021 है। विभाग ने करदाताओं के लिए सात तरह के फॉर्म निर्धारित किए हैं। ऐसे में आपको अपनी आय के आधार पर सावधानी से अपना आईटीआर फॉर्म चुनना होगा, वरना आयकर विभाग इसे अस्वीकार कर देगा। यदि फॉर्म भरते समय कोई गलती हुई, तो विभाग आपको नोटिस भेज सकता है।
करदाताओं के लिए जरूरी है कि वे रिटर्न भरने के लिए सही आईटीआर फॉर्म का चुनाव करें और उसमें सभी जरूरी जानकारियां दें। अगर आपको वेतन, हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन्स, कारोबार या पेशा या ब्याज-लाभांश जैसे दूसरे स्रोतों से कमाई होती है तो रिटर्न भरते समय इनकी भी पूरी जानकारी दें। सभी बैंक खातों का भी खुलासा करें। इसके तहत आईएफएस कोड, बैंक का नाम और खाता नंबर की जानकारी देनी होगी। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अपडेटेड बैंक खाते में ही रिफंड आता है।
करदाताओं के लिए सात तरह के फॉर्म निर्धारित
-आईटीआर-1 (सहज): यह सबसे आसान फॉर्म है। इस फॉर्म का इस्तेमाल वह छोटे एवं मध्यम करदाता कर सकते हैं, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक होती है। साथ ही जिनका कमाई का जरिया सिर्फ वेतन और एक घर या ब्याज जैसे अन्य स्रोत हैं।
-आईटीआर-2: जिन व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अविभाजित परिवार की कमाई किसी कारोबार या प्रोफेशन से न हो। साथ ही वह सहज फॉर्म भरने की योग्यता न रखते हों।
-आईटीआर-3: जिन व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अविभाजित परिवार की कमाई किसी कारोबार या प्रोफेशन से हो।
-आईटीआर-4 (सुगम): यह फॉर्म हिंदू अविभाजित परिवार और कंपनियों की ओर से भरा जाता है, जिनकी किसी कारोबार या प्रोफेशन से सालाना कमाई 50 लाख रुपये तक हो।
-आईटीआर-5: हिंदू अविभाजित परिवार, भागीदारी वाली कंपनियां, एलएलपी इसे भर सकती हैं।
-आईटीआर-6: इसे धारा 11 के तहत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के लिए है।
-आईटीआर-7: आयकर अधिनियम के तहत छूट क्लेम करने वाले ट्रस्ट, राजनीतिक पार्टियां और चैरिटेबल ट्रस्ट यह फॉर्म भर सकते हैं।