कोटा। राजस्थान की बिजली कंपनियां करीब 80 हजार करोड़ के घाटे में हैं। हालात ये हो गए कि समय पर भुगतान न होने से कोयले की सप्लाई भी बाधित हो गई। इसी वजह से पिछले दिनाें काेटा और छबड़ा थर्मल प्लांट काे छाेड़कर प्रदेश के सारे थर्मल पावर प्लांट बंद करने पड़े।
इसके बावजूद सरकार की लापरवाही का आलम ये है कि सस्ती बिजली बनाने वाला राणा प्रताप सागर पनबिजली घर 3 साल से बंद पड़ा है। ये प्लांट एक साल में औसतन 200 कराेड़ रुपए की बिजली बनाता है। 2019 में बिजलीघर में बाढ़ का पानी भर जाने से मशीनरी खराब हाे गई। महज 85 लाख के बजट के अभाव में मरम्मत नहीं हाे सकी।
15 गुना कम लागत पर होता है बिजली का उत्पादन
पन बिजलीघर में उत्पादन पर 20 पैसे प्रति यूनिट की लागत आती है, जाे लगभग 4.50 से 5.50 रुपए में बिकती है। वहीं थर्मल व परमाणु परियोजना में उत्पादन लागत 2 से 3.50 रुपए प्रति यूनिट होती है। रावतभाटा पन बिजलीघर में वर्ष 2016-2017 में करीब 448 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है, जिससे करीब 225 कराेड़ की आय हुई। वर्ष 2014-15 में करीब 199.65 कराेड़ की 363 मिलियन यूनिट, वर्ष 2015-16 में 284.9 कराेड़ रुपए की 518 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया था।
अक्टूबर से शुरू हाेगा उत्पादन
यह प्लांट बांध से करीब 163 फीट नीचे स्थित है। राणाप्रताप सागर पनबिजली घर के एक्सईएन आशीष कुमार जैन ने बताया कि इस बार अक्टूबर में नहरों में पानी छोड़ने के दौरान इन सभी यूनिटों से बिजली उत्पादन किया जाएगा। सभी यूनिटों को सही करने में 80 से 85 लाख रुपए खर्च हुए। जैन ने बताया कि इसके सभी उपकरण काफी पुराने हैं इसलिए ठीक करने में ज्यादा समय लगा।
अगले ही दिन बंद हाे गई
पहले कुछ कंपनियों ने मरम्मत पर 2 करोड़ से ज्यादा का खर्च बताया था। इसके बाद पनबिजली घर के कर्मचारियों ने पिछले साल 15 लाख के खर्च से 2 नम्बर यूनिट शुरू कर दी। हालांकि दूसरे ही दिन ब्लास्ट हाेने से यूनिट बंद हाे गई।