नीरज ने गोल्ड मेडल जीतकर फ्लाइंग सिख का सपना पूरा किया

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तोक्यो। वह ख्वाब जो मिल्खा सिंह, पीटी उषा की आंखों से आंसू की तरह बह गया, उस सपने को आज नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर जिया है। ट्रैक एंड फील्ड में शताब्दी पुराना इंतजार खत्म किया है। एथलेटिक्स में भारत को सम्मान दिलाया है। ओलिंपिक का पहला गोल्ड मेडल लाया है। 13 साल बाद खेलों के महाकुंभ में राष्ट्रगान बजवाया है। तिरंगे को सबसे ऊपर लहराया है।

ओलिंपिक खेलों में एथलेटिक्स का अपना अलग वजूद है। परम्परा और प्रतिष्ठा है। शूटिंग, कुश्ती, बॉक्सिंग, हॉकी से तो मेडल आते रहे हैं, लेकिन भारत कभी ट्रैक एंड फील्ड में कभी पोडियम फिनिश नहीं कर पाया। नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीतकर मिल्खा सिंह के सपने को साकार किया है। चंद माह पहले दुनिया छोड़ गए ‘फ्लाइंग सिख’ का सपना था कि कोई भारतीय ट्रैक और फील्ड में ओलिंपिक पदक जीते।

‘1960 रोम ओलिंपिक के 400 मीटर रेस में मिल्खा सेकेंड के दसवें हिस्से से भारत के लिए मेडल जीतने से चूक गए थे। नीरज की सफलता के बाद मिल्खा सिंह के बेटे और मशहूर गोल्फर जीव मिल्खा सिंह ने कहा कि आज डैड ऊपर खुशी के आंसू बहा रहे होंगे, उनका सपना पूरा हो गया। यह भारत के लिए गर्व का लम्हा है। नीरज के त्याग और मेहनत को सलाम।

पीटी उषा ने कहा- शुक्रिया मेरे बेटे
1984 में हुए लॉस एंजेलिस ओलिंपिक में पीटी उषा महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल मुकाबले में पहुंचीं थी। उड़न परी के नाम से विख्यात पीटी उषा भी मिल्खा सिंह की ही तरह मेडल जीतने से सेकेंड के सौवें हिस्से से चूकीं थीं। नीरज के मेडल लाने पर उन्हें गर्व की अनुभूति हुई।