LIC के निजीकरण को सीसीईए की हरी झंडी, जानिए अब आगे क्या होगा!

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के विनिवेश को मंजूरी दे दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि वित्त मंत्री की अगुवाई वाली एक समिति एलआईसी में हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा तय करेगी। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से पहले एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य निकालने के लिए बीमांकिक (actuarial) कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स एलएलपी इंडिया की नियुक्ति की थी। इसे भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम कहा जा रहा है।

एलआईसी कानून में बजट संशोधनों को अधिसूचित कर दिया गया है और बीमांकिक कंपनी जीवन बीमा कंपनी के अंतर्निहित मूल्य (underlying value) को अंतिम रूप देगी। अंतर्निहित मूल्य के तहत बीमा कंपनी के भविष्य के मुनाफे के मौजूदा मूल्य को उसके मौजूदा शुद्ध संपत्ति मूल्य में शामिल किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने पिछले सप्ताह एलआईसी के आईपीओ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। ‘‘विनिवेश पर वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा सरकार द्वारा हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा तय की जाएगी।’’

अधिकारी ने बताया कि एलआईसी का आईपीओ चालू वित्त वर्ष के अंत तक आ सकता है। एलआईसी आईपीओ के निर्गम आकार का 10 प्रतिशत तक पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित रखा जाएगा। प्रस्तावित आईपीओ के लिए सरकार पहले ही एलआईसी कानून में जरूरी विधायी संशोधन कर चुकी है। डेलॉयट और एसबीआई कैप्स को आईपीओ पूर्व सौदे का सलाहकार नियुक्त किया गया है।

एलआईसी की सूचीबद्धता सरकार के चालू वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस 1.75 लाख करोड़ रुपये में एक लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से जुटाए जाएंगे। शेष 75,000 करोड़ रुपये केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के विनिवेश से आएंगे।