जयपुर। राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, वो इसलिए क्योंकि चिकित्सा विभाग टेस्टिंग ही कम कर रहा है। बीते 24 घंटे में राज्य में कुल 14,289 संक्रमित केस मिले हैं, जो 20 अप्रैल के बाद आए अब तक पॉजिटिव केसों में सबसे कम है। राज्य में आज कोरोना से 155 लोगों की मौत हो गई। बीते चार दिन की रिपोर्ट देखे तो राज्य में 19 फीसदी सैंपलिंग कम हुई है, जिससे केसों में 11 फीसदी तक की गिरावट आई है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक आज राजस्थान में कोरोना के 67,789 सैंपल की जांच की गई, जिसमें से 14,289 पॉजिटिव निकले। राज्य में आज संक्रमण की दर 21 फीसदी से ऊपर रही। इससे पहले 11 मई को राज्य में 83,851 सैंपल जांचे गए थे, तब 16,080 सैंपल पॉजिटिव मिले थे और संक्रमण की दर 19.17 फीसदी थी।
राज्य में जिलेवार स्थिति देखे तो आज जयपुर में 2823 सबसे ज्यादा संक्रमित मिले, जबकि 58 लोगों की मौत हुई है। जयपुर में सबसे ज्यादा पॉजिटिव केस 135 झोटवाड़ा में मिले हैं। इसके अलावा कोटपूतली 125, विद्याधर नगर 106 और फागी में 86 नए पॉजिटिव केस मिले हैं।
2.12 लाख से ज्यादा हुए एक्टिव केस
राज्य में आज एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर 2.12 लाख के पार हो गई। आज 13270 मरीज रिकवर हुए, इसमें सबसे ज्यादा मरीज 2488 मरीज जयपुर के हैं। इसके अलावा अलवर, बारां, चित्तौड़गढ़, पाली और सीकर ऐसे जिले हैं, जहां 500 से ज्यादा मरीज रिकवर हुए हैं। जोधपुर में आज रिकवर मरीजों की संख्या पॉजिटिव केसों की संख्या की तुलना में दोगुनी है। राज्य में सबसे ज्यादा एक्टिव केस जयपुर में 51,487 हैं, जबकि दूसरे नंबर पर जोधपुर में 23,031, उदयपुर में 11,596 और अलवर में 10,807 एक्टिव केस हैं।
अस्पतालों के लिए नई गाइडलाइन
कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी के चलते बेड और ऑक्सीजन की कमी से कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में कोरोना पेशेंट और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा के निर्देश पर चिकित्सा विभाग ने शुक्रवार को मेडिकल कॉलेजों से संबंधित अस्पतालों के लिए गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन के अनुसार कोविड डेडिकेटेड सभी अस्पतालों में ऐसा ट्राइएज एरिया विकसित किया जाएगा। जहां अस्पताल में आने वाले नए मरीज को भर्ती करने से पहले डॉक्टर्स जांच कर सकेगा। साथ ही मरीजों की देखभाल कर रहे सभी चिकित्सकों के नाम और संपर्क सूचना प्रत्येक वार्ड में भी चस्पाई जाए, ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर मरीज चिकित्सकों से संपर्क कर सके।