मुंबई। जीएसटी की वजह से शेयर बाजार में चल रहे बुल रन में खलल पड़ सकता है। कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पर नए टैक्स का क्या असर होगा, अभी तक मार्केट ऐनालिस्ट इसका अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। अगर मार्केट पर्टिसिपेंट्स को यह लगता है कि जीएसटी का कंपनियों पर लंबे समय तक नेगेटिव असर रहेगा, तो उससे निवेशकों का मूड खराब हो सकता है।
शेयर बाजार के महंगा होने से निवेशक पहले ही आशंकित हैं। देश की आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बताया जा रहा है। यह शनिवार से लागू हुआ है। इससे टैक्स चोरी कम होने की उम्मीद है। बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड के को-चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर महेश पाटिल ने बताया, ‘बाजार पहले ही महंगा है।
ऐसे में जीएसटी की वजह से कोई मुश्किल आती है तो कुछ करेक्शन हो सकता है। मुझे लगता है कि यह बांधा लंबे समय तक नहीं बनी रहेगी। इसका असर कुछ वैसा ही होगा, जैसा नोटबंदी का हुआ था।’जून में पिछले साल नवंबर के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में मंथली गिरावट आई। कैश मार्केट का वॉल्यूम मई की तुलना में 11.6 पर्सेंट गिरकर 27,291 करोड़ रुपये रह गया।
शेयर बाजार के दिग्गज रमेश दमानी ने कहा, ‘वोलैटिलिटी की वजह से कुछ घबराहट है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि तीन महीने में सबकुछ सामान्य हो जाएगा।’ निवेशकों में बाजार के महंगा होने की वजह से घबराहट है। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपियन यूनियन से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसे निकालेंगे।
सेंसेक्स शुक्रवार को 30,921.61 और निफ्टी 9,520.90 पर बंद हुआ। जून के लाइफ टाइम हाई लेवल से ये इंडेक्स 2 पर्सेंट नीचे आ गए हैं। हालांकि, इस साल इनमें 16 पर्सेंट की मजबूती आ चुकी है। वन इयर फॉरवर्ड अर्निंग के हिसाब से बेंचमार्क इंडेक्स 18.2-18.9 के पीई पर ट्रेड कर रहे हैं। एशियाई बाजारों में यह सबसे अधिक वैल्यूएशन है। एशिया के दूसरे बाजारों का पीई 10-17 के बीच है और एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स 12.8 के पीई पर ट्रेड कर रहा है।
वोलैटिलिटी इंडेक्स भी 23 जून के 8.8 के लो लेवल से 33 पर्सेंट चढ़ा है। इससे शॉर्ट टर्म में रिस्क बढ़ने का संकेत मिल रहा है। जून के मध्य से विदेशी निवेशक 1,176 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए के चीफ क्रिस्टोफर वुड ने गुरुवार को कहा था कि वह इंडिया पर वेटेज कम कर रहे हैं। उनका कहना था कि एशियाई देशों में सीएलएसए को साउथ कोरिया और ताइवान से अधिक उम्मीद है।
वहीं, जेपी मॉर्गन में इंडिया इक्विटी रिसर्च के हेड भारत अय्यर ने कहा, ‘भारतीय बाजार 18-19 के पीई पर ट्रेड कर रहा है, जबकि कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ के अनुमान में कटौती हो रही है। विदेशी निवेशकों ने भी यहां पैसा लगाना कम कर दिया है।’ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि शॉर्ट टर्म में भले ही बाजार को चुनौतियों का सामना करना पड़े, लेकिन मीडियम से लॉन्ग टर्म में इसमें मजबूती आएगी।