लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इस बार त्योहारी सीजन में आलू की कीमतें नए रिकॉर्ड बनाएंगी। कारोबारियों के बीच चल रहे सट्टा बाजार या ऑफ मार्केट ट्रेड के मुताबिक आलू 40 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच सकता है। हालांकि इसका फायदा किसानों को नहीं मिल पाएगा। नई फसल आने तक कीमतों से राहत की कोई उम्मीद नहीं है।
उत्तर प्रदेश की आलू पट्टी कहे जाने वाले आगरा, हाथरस, फर्रुखाबाद, इटावा और फिरोजाबाद में कारोबारियों के बीच चल रहे ऑफलाइन वायदा कारोबार की कीमतों के मुताबिक आने वाले दिनों में आलू की कीमतें बेतहाशा बढ़ेंगी।
कारोबारियों के बीच इन दिनों आलू के सौदों पर 33 से 34 रुपये किलो का भाव लग रहा है। हाथरस के कारोबारियों का कहना है कि यहां से दक्षिण के राज्यों को जाने वाला आलू अभी से 30 से 32 के पार जा पहुंचा है और आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश में भाव ऊंचा जाएगा।
हाथरस के प्रमुख आलू कारोबारी और कोल्डस्टोर मालिक बालकिशन बताते हैं कि सट्टे की वजह से कीमतों में तेजी का लाभ किसानों को नहीं बल्कि आढ़तियों को मिल रहा है। उनका कहना है कि कारोबारियों का समूह आपस में सांठगांठ कर भाव लगा रहा है और उसके मुताबिक अब सौदे 1,650 रुपये प्रति 50 किलो के पैकेट पर हो रहे हैं।
इस भाव पर होने वाले सौदे का साफ मतलब है कि दीवाली आते-आते आलू की कीमतें 40 रुपये किलो के पार जाने वाली हैं। बालकिशन का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कारोबारियों ने लाखों बोरी (पैकेट) आलू का भंडारण कर रखा है जिसे अब ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है।
वायदा कारोबारी राजेश मिश्रा बताते हैं कि केवल एनसीडीईएक्स में आलू की ट्रेडिंग हो रही है जबकि एमसीएक्स में इसका कारोबार बंद है। मिश्रा के मुताबिक कभी आलू कारोबार का गढ़ रहे सिरसा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद और हाथरस के बजाय सट्टा कारोबार आगरा में ज्यादा केंद्रित हो गया है।
उनका कहना है कि जिस तरह से कुछ ब्रोकर सांठगांठ कर चुनिंदा शेयरों का भाव उठाने गिराने का काम करते हैं, वही हाल आलू का है। बालकिशन ने कहा कि ज्यादातर आढ़तियों और कारोबारियों ने किसानों से 12-13 रुपये के भाव पर खरीद की है, जिसे अब आपसी सौदे कर इस ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया है। उनकी मानें तो सरकार की ओर कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तो आलू की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती हैं।