मुंबई। आधी आबादी के इस्तेमाल में आनेवाले सैनिटरी पैड्स को टैक्स फ्री करने के फैसले के बाद भी लोकप्रिय ब्रैंड्स के पैड्स की कीमतों में बड़ी कटौती के आसार नहीं हैं। पैड बनानेवाली कंपनियों और टैक्स एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद यह साफ हो गया है कि सैनिटरी पैड्स के दाम नहीं घटेंगे।
1 साल से ज्यादा चले महिला अधिकार संगठनों के आंदोलन के बाद जीएसटी काउंसिल ने शनिवार के हालिया बैठक में सैनिटरी पैड्स पर लागू 12 प्रतिशत टैक्स को खत्म कर दिया। अब पैड बनानेवाली कंपनियां कह रही हैं कि ग्राहकों को इसका बहुत कम फायदा मिल पाएगा।
सस्ते सैनिटरी पैड्स बनानेवाली कंपनी सरल डिजाइन की संस्थापक सुहानी मोहन ने कहा, ‘हमें लगता है कि ग्राहकों के लिए कीमत में आनेवाला अंतर बहुत छोटा होगा।’ सुहानी के आकलन से पता चलता है कि ग्राहकों को 10 पैड्स वाले पैक पर प्रति पैड 5 पैसे की बचत हो पाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी फ्री होने के बाद पैड बनानेवाली कंपनियां रॉ मटीरियल्स पर चुकाए गए टैक्स पर क्रेडिट क्लेम नहीं कर पाएंगी। सुहानी ने LD NEWS से कहा, ‘बड़ी बचत तभी संभव हो संभव है जब कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की अनुमति मिल जाए।’
देश में सैनिटरी पैड्स का बाजार अभी 4,500 करोड़ रुपये का है जबकि हकीकत यह है कि 80 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं अब भी पैड्स का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। सूत्र ने LD NEWS को बताया कि अब जब पैड्स पर जीएसटी खत्म कर दिया गया है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां (MNCs) पैड्स को सबसे कम स्लैब के टैक्स दायरे में रखे जाने की सोच रही होंगी ताकि उनके लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने का रास्ता बचा रहता।
पैड्स पर टैक्स छूट के मसले पर पैड निर्माताओं को सलाह दे रहे एक अधिकारी ने बताया, ‘बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने मुख्य वित्तीय अधिकारियों (CFOs) से पूछ रही हैं कि उन्होंने पैड्स को कम-से-कम 5% के टैक्स ब्रैकिट में रखने के लिए भरपूर लॉबिंग क्यों नहीं की?’ अधिकारी ने बताया कि पैड बनानेवाली कंपनियां 2.30 रुपये मूल्य के एक पैड पर 3 पैसे का इनपुट क्रेडिट क्लेम करती हैं।
जीएसटी काउंसिल के फैसले का ग्राहकों को इसलिए भी बड़ा फायदा नहीं मिल पाएगा क्योंकि जॉनसन ऐंड जॉनसन और पीऐंडजी जैसी बड़ी कंपनियां भारत जैसे बड़े बाजार में ब्रैंड के नाम का इस्तेमाल करने के लिए अपनी-अपनी पैरंट कंपनियों को रॉयल्टी देते रहेंगे। रॉयल्टी की इस रकम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है जिसकी वसूली ग्राहकों से ही करने का प्रयास होगा।