गुजरात में कम बिजाई के बावजूद जीरे में तेजी की संभावना नहीं, जानिए क्यों

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राजकोट। हालांकि अग्रणी उत्पादक राज्य गुजरात में जीरा का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 5,60,841 लाख हेक्टेयर से 87,226 हेक्टेयर घटकर इस बार 4,73,615 हेक्टेयर रह गया है लेकिन फिर भी यह रकबा तीन वर्षीय औसत क्षेत्रफल 3,81,424 हेक्टेयर से काफी अधिक है।

राजस्थान में भी जीरा की सामान्य बिजाई होने की सूचना मिल रही है। इसे देखते हुए आगामी कुछ सप्ताहों तक मौसम की हालत फसल के लिए अनुकूल रहने पर जीरा का घरेलू उत्पादन भले ही पिछले साल के शीर्ष स्तर तक न पहुंच सके मगर घरेलू एवं निर्यात मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो सकता है।

गुजरात के ऊंझा, मेहसाणा, कातिया बाढ़ एवं सौराष्ट्र संभाग में उत्पादकों एवं व्यापारियों के पास अभी जीरा का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है जिसने दाम बढ़ने की उम्मीद से इसका स्टॉक पकड़ रखा था।

अभी भी ऊंझा मंडी में जीरे की सीमित आवक ही हो रही है मगर कीमतों में तेज उछाल का माहौल नहीं देखा जा रहा है। वायदा बाजार में जिस जीरे की खरीद बिक्री पहले हुई थी उसका स्टॉक भी खरीदारों के पास मौजूद है जिससे स्थिति विचित्र होती जा रही है।

समझा जाता है कि राजस्थान के जोधपुर, मेड़ता एवं बीकानेर क्षेत्र में भी जीरा का पर्याप्त स्टॉक बचा हुआ है। हालांकि जीरा के निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और घरेलू खपत में भी कुछ इजाफा हुआ है

क्योंकि इसका भाव अपेक्षाकृत नीचे रहा है लेकिन 2023-24 के सीजन में विशाल उत्पादन होने के कारण भारी मात्रा में बकाया स्टॉक अभी उपलब्ध है। 2024-25 के सीजन में उत्पादन घटने पर भी विशाल बकाया स्टॉक के कारण जीरा की कुल उपलब्धता में ज्यादा कमी नहीं आएगी और पूरे मार्केटिंग सीजन के दौरान इसकी आपूर्ति की स्थिति सुगम बनी रह सकती है।

यदि फरवरी-मार्च में प्राकृतिक आपदाओं या प्रतिकूल मौसम का गंभीर प्रकोप रहा तथा उससे फसल को भारी नुकसान हुआ तो जीरा के दाम में तेजी की गुंजाइश बन सकती है। अभी तक मौसम सामान्य बना हुआ है। एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने वाला है जिससे पश्चिमोत्तर भारत में मौसम में बदलाव आने की संभावना है।