कोटा। वन एवं वन्यजीवों का संरक्षण इंसानों के लिए अति आवश्यक है। सह अस्तित्व की भावना से ही इंसान और वन्यजीव सुरक्षित रह सकतें हैं। किसी प्रजाति का लुप्त होना सभ्य समाज के लिए कलंक है।
शुक्रवार को विश्व वन्यजीव दिवस पर एलजेब्रा शिक्षण संस्थान में बाघ चीता मित्रों द्वारा आयोजित संगोष्ठी में उप वन संरक्षक (मुकुंदरा) अनुराग भटनागर ने कहा कि वन्यजीव केवल बाघ और चीतों तक सीमिति नहीं है। इनकी दुनिया बहुत बड़ी है। पक्षी, जलचरों, उभयचरों, वनस्पतियों का सभी का एक दूसरे पर जीवन निर्भर है।
प्रकृति में वन्यजीव संरक्षण खाद्य श्रृंखला का महत्पूर्ण विषय है। बाघ- चीता मित्र (चम्बल संसद) संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण पर विचार करते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चम्बल में कोटा क्षेत्र में घडियाल लुप्त हो गए। सोरसन में गोडावण लुप्त हो गए। इस बार सारस की संख्या नगण्य रही। बढ़ती जन संख्या और अनियोजित विकास के कारण पर्यावरण पर संकट बढ़ रहा है। इनमें संतुलन की बहुत आवश्यकता है।
सर्प विशेषज्ञ डाॅ. विनीत महोबिया ने सांपों के संरक्षण और उनसे बचाव के तरीके बताए। उन्होंने बताया कि सभी सांप जहरीले नहीं होते। समय पर उपचार मिल जाए तो सर्पदंश पीडितों को बचाया जा सकता है। शोध छात्रा लवली मेहता ने बताया कि दुबई में रेगिस्तान है, लेकिन वहां कृत्रिम तरीके अपना कर विकास हो रहा है। राजस्थान तो प्रकृति का खजाना है।
गोष्ठी के संचालक डाॅ. कृष्णेंद्र सिंह ने चम्बल की जैव विविधता का वर्णन करते हुए लुप्त हो रहे वन्यजीवों से मनुष्यों को आने वाले खतरों से सचेत किया। वन्यजीवों को बचाने और उससे होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से बताया। प्रारम्भ में काॅलेज प्राचार्य ने वन्यजीव विशेषज्ञों का स्वागत किया। छात्र छात्राओं ने प्रश्नोत्तरी में भाग लिया।