इधर वन कर्मियों की हड़ताल, उधर अज्ञात वाहन की टक्कर से बारहसिंघा की मौत

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कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा में वन कर्मचारियों की हड़ताल के बाद शहर के नयापुरा क्षेत्र में एक अज्ञात वाहन की टक्कर से वन्यजीव बारहसिंघा की मौत की पहली घटना सामने आई है। जानकारी के अनुसार आज सुबह किसी समय नयापुरा क्षेत्र में स्थित सैन्य परिसर में बड़ी संख्या में रहने वाले हिरण, बारहसिंघा आदि में से एक बारहसिंघा भटकता हुआ स्टेशन से अंटाघर की ओर जाने वाले रास्ते पर आ गया जहां तड़के किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया।

बताया गया है कि काफी देर तक यह बारहसिंघा घायल अवस्था में सड़क पर ही पड़ा तड़पता रहा, लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली। सुबह करीब 8 बजे नयापुरा थाना पुलिस को जब बारहसिंघा के घायल पड़े होने की सूचना मिली तो पुलिस की एक टोली मौके पर पहुंची। बताया जाता है कि उस समय तक वह बारहसिंघा जीवित था। पुलिसकर्मी घायल बारहसिंघा को घटनास्थल के पास ही स्थित पुराने चिड़ियाघर लेकर गए, लेकिन वहां पशु चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। अब उसके पोस्टमार्टम की कार्यवाही की जा रही है।

कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर और पगमार्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाडा ने अलग-अलग वक्तव्य में कोटा के नयापुरा इलाके में आज सुबह अज्ञात वाहन की टक्कर से वन्यजीव बारहसिंघा की मौत की घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि यह घटना वन कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से हुई है, क्योंकि राज्य सरकार वन कर्मचारियों की मांगों को मानने को तैयार नहीं है। जिस कारण वन कर्मचारी अभी तक हड़ताल पर बने हुए हैं।

आज जिस समय यह हादसा हुआ, तब वन कर्मचारी हड़ताल पर थे। जिस स्थान पर यह वाकया हुआ, वह पुराने बायोलॉजिकल पार्क के बिल्कुल नजदीक है। अभी भी वहां वन विभाग का कार्यालय संचालित है। वहां स्टाफ की व्यवस्था है, लेकिन हड़ताल के कारण समय रहते इस घायल बारहसिंघा को इलाज नहीं मिल पाया और उसकी मौत हो गई।
विधायक श्री भरत सिंह ने आज राज्य के वन मंत्री हेमाराम चौधरी को भेजे पत्र में कहा कि उन्होंने गत एक फरवरी को मुख्यमंत्री और राज्य व वाइल्डलाइफ बोर्ड के अध्यक्ष अशोक गहलोत को एक पत्र भेजकर यह अनुरोध किया था कि प्रदेश के वन कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं।

राज्य सरकार को उनकी जायज मांगों को बातचीत के जरिए मान लेना चाहिए। आंदोलन को समाप्त करवाना चाहिए क्योंकि आज की मौजूदा स्थिति में वन और वन्य जीवों को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का सामना वन कर्मचारी ही करते हैं, इसलिए उनकी सभी जायज मांगें स्वीकार कर उनका आंदोलन समाप्त करवाना चाहिए।

श्री सिंह ने वन मंत्री से अनुरोध किया है कि वे मुख्यमंत्री से बातचीत कर वन कर्मचारियों की सभी जायज मांगों को स्वीकार कर आंदोलन को समाप्त करवाएं। ताकि हमारी भावी पीढ़ी को वन और वन्यजीव देखने को मिल सके। वन कर्मचारियों की हड़ताल के कारण तो जंगल और वन्य जीव असुरक्षित हो गए हैं।