2 लाख तक की ज्वैलरी खरीदने पर कोई डॉक्यूमेंट नहीं देना, सरकार ने किया स्पष्ट

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नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि 2 लाख रुपए तक की सोने और चांदी की खरीदारी पर ग्राहक को PAN और आधार देने की जरूरत नहीं है, यानी किसी KYC की कई अनिवार्यता नहीं है। मीडिया में ऐसी खबरें आ रही थीं कि बजट में 2 लाख रुपए से कम का सोना-चांदी खरीदने पर भी KYC जरूरी किया जा सकता है। इसलिए ज्वैलर्स अभी से ग्राहकों से पैन और आधार लेने लगे थे। इसी के बाद वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है।

28 दिसंबर के नोटिफिकेशन से बना कन्फ्यूजन
वित्त मंत्रालय ने 28 दिसंबर 2020 को गोल्ड ट्रेड को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के दायरे में लाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके अनुसार संदिग्ध खरीद या लेन-देन पर एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के पास यह अधिकार होगा कि वह बिना दस्तावेज के गोल्ड ट्रेड की जांच कर सके। नोटिफिकेशन के अनुसार, ट्रांजैक्शन का हिसाब-किताब ज्वैलर्स को अपने पास रखना होगा। इसके बाद ज्वैलर्स 2 लाख से कम की ज्वैलरी खरीदने वालों से भी KYC डॉक्यूमेंट लेने लगे।

2 लाख से ज्यादा के नगद लेनदेन की इजाजत नहीं
भारत में इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 269ST के तहत 2 लाख रुपए से ज्यादा के नगद लेनदेन की इजाजत नहीं है। वित्त मंत्रालय के अनुसार अगर कोई डीलर 2 लाख रुपए से ज्यादा कैश नहीं ले रहा तो वह ट्रांजैक्शन इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक ही है, उस पर ये नोटिफिकेशन लागू नहीं होता है। इसलिए सोने के मामले में भी 2 लाख रुपए से ज्यादा के नगद लेन-देन पर ही KYC डॉक्यूमेंट्स जरूरी होता है। इससे कम की खरीदारी पर KYC जरूरी नहीं है।

सरकार का नोटिफिकेशन
सरकार ने 28 दिसंबर 2020 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें कहा गया था कि सोना-चांदी और जवाहरात के डीलर अगर 10 लाख रुपए से ज्यादा का कैश ट्रांजैक्शन करते हैं, तो उन्हें ग्राहक का KYC लेना होगा। यह नोटिफिकेशन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के गाइडलाइंस के मुताबिक जारी किया गया था। FATF अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो मनीलॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखती है। भारत भी 2010 से इसका सदस्य है।