महिलाओं में माहवारी एक मानवीय मुद्दाः डॉ. मनीषा मित्तल

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कोटा। जेसीआई कोटा स्टार द्वारा शुक्रवार को माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. मनीषा मित्तल ने महिलाओं में होने वाली माहवारी की समस्या, माहवारी के समय रखी जाने वाली सावधानियों और उम्र के साथ शरीर में होने वाले परिवर्तनों के बारे में बताया।

उन्होंने बताया कि मासिक धर्म यानी माहवारी महिलाओं की जीवनचर्या का अभिन्न अंग है। इस बारे में खुल कर बात करना जरूरी है। ताकि यह विषय दुनिया के लिए अस्पृश्य न रह कर सामान्य ज्ञान की श्रेणी में आ सके। सरकारों और संस्थाओं ने माहवारी संबंधी जन जागरूकता लाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कीं हैं।

उन्होंने बताया कि अब भी देश का हर कोना इस जागरूकता से कोसों दूर है। यह सच है कि अब भी लाखों लोग माहवारी को समाज में अस्पृश्य विषय मान कर इस पर बात करने से डरते हैं। इसके तहत माहवारी से जुड़े स्वास्थ्य, स्वच्छता, पानी और साफ-सफाई की अनिवार्यता और विषयों पर फोकस करना होगा।

डाॅ. मनीषा मित्तल ने बताया कि कोविड-19 (COVID-19 ) कार्यक्रम और नीतियों में मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को भी शामिल करना आवश्यक है। महिलाओं को इस दौरान जिन समस्यओं का सामना करना पड़ रहा है, उनका समाधान जरूरी है। कोरोना काल में किशोरियों और युवतियों को माहवारी प्रबंधन के लिए आवश्यक उत्पाद और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के चलते अस्पतालों में आम मरीजों के लिए ही ओपीडी सेवाएं बंद हैं। ऐसे में, महिलाएं माहवारी संबंधी चिकित्सकीय परामर्श से वंचित हो गई हैं। हालांकि आम दिनों में भी माहवारी संबंधी जटिल समस्याओं के समाधान के लिए हमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। ये मानना गलत है कि इसका सरोकार सिर्फ महिलाओं से है। यह सिर्फ महिलाओं से जुड़ा मुद्दा नहीं हैं, मानवीय मुद्दा है।

उन्होंने बताया कि माहवारी के दौरान पानी, स्वच्छता और साफ-सफाई, तीनों अत्यंत आवश्यक हैं। गांवों में, शहरी बस्तियों में अब भी साफ-सफाई की स्वस्थ आदतें विकसित नहीं हो सकी हैं। उस पर कमजोर सामाजिक व आर्थिक वर्ग की महिलाओं और युवतियों में साफ-सफाई के संसाधनों का न होना आम बात है।

उन्होंने कहा कि माहवारी के लिए तीन चीज अहम हो जाती हैं- जागरूकता, उपलब्धता और वहन करने की क्षमता। यानी संबंधित उत्पाद हर हाल में जरूरतमंद किशोरी, युवती और महिला को मिलने की सुनिश्चतता हो। आज भी दूर-दराज के इलाकों में महिलाएं इन दिनों के लिए काम आने वाले पैड या कपड़े तक से वंचित हैं। महिलाओं को जागरूक कर उन्हें कपड़े से पैड बनाने का प्रशिक्षण दिया जाए तो बहुत सी महिलाओं का जीवन संवर सकता है। सेमिनार में जेसीआई कोटा स्टार की पास्ट चैयरपर्सन सुनिता गोयल, साक्षी जैन स्वीटी जैन, मोनिका जैन, स्वाति जैन, कल्पना चितौड़ा, श्वेता जैन, लवीना सोनी आदि ने भाग लिया।

100 सैनिटरी नैपकिन वितरित:अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन कोटा महिला मंडल के द्वारा अपने घरों पर काम करने आने वाली बाइयों व जरूरतमंद मजदूर महिलाओं को सेनेटरी नेपकिन व मास्क बांटे। संस्था की महिला अध्यक्ष गायत्री मित्तल व सचिव रेणु अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान शहर की झुग्गी-बस्तियों में रहने वाली गरीब महिलाओं को करीब 100 सैनिटरी नैपकिन वितरित किए।