शिव अगर विश्वास हैं तो, मां पार्वती श्रद्धा, दोनों के मेल से पुरुषार्थ जन्म लेता है

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दंडवीर हनुमान मन्दिर पर शिव महापुराण कथा

कोटा। दंडवीर हनुमान मंदिर महावीर नगर में आयोजित हो रही शिव महापुराण कथा के चौथे दिन तारकासुर वध, कार्तिकेय और श्री गणेश के जन्म की कथा का विवरण कहा गया। अयोध्या के संत श्री रामकिशोर शरणदास महाराज ने कामदेव द्वारा भगवान शिव की समाधि को भंग करने के वृतांत का विवरण प्रस्तुत करते हुए भक्तों को अचंभित कर दिया।

रामकिशोर शरणदास महाराज ने कहा कि तेज रफ्तार युग में समय की कमी के चलते जो लोग जप-तप एवं नित्य नियमों का शास्त्रोयुक्त पालन नहीं कर पाते हैं, उन्हें नाम जप व संकीर्तन करना चाहिए। क्योंकि आते-जाते एवं सोते-बैठते सतत जाप तो किया ही जा सकता है।

उन्होंने शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पृथ्वी लोक पर तारकासुर का अत्याचार, पापाचार बढ़ गया। उसका विनाश कार्तिकेय ही कर सकता था। इसलिए शिव पार्वती का विवाह आवश्यक था। शिव अगर विश्वास है तो पार्वती श्रद्धा और जब दोनों एक साथ है तो पुरुषार्थ रूपी कार्तिक का जन्म होता है। उन्होंने कार्तिक स्वामी के जन्म की कथा सुनाई एवं कहा कि ऋषि विश्वामित्र ने कार्तिकेय का नामकरण किया।

कार्तिक स्वामी के नामकरण के बाद उन्होंने विश्वामित्र से कोई वरदान मांगने को कहा। ऋषि ने राम के दर्शन होने का वर मांगा तो कार्तिकेय ने तथास्तु कहा। उधर, अयोध्या में प्रभु राम का जन्म हो चुका था। ऋषि विश्वामित्र वहां से अयोध्या के लिए निकल पड़े एवं वहां से यज्ञ रक्षा के लिए राम-लखन को लेकर आए और तारका का वध किया। देवतागण पुन: भगवान शिव के पास गए और तारकासुर के अत्याचार के बारे में कहा तब कार्तिक स्वामी को बुलाने नंदी को गंगातट वन में भेजा।

वे लौटे एवं शिव-पार्वती की आज्ञा लेकर उन्होंने तारकासुर को ललकारा व युद्ध कर उसका वध कर उद्धार किया। उस स्थान पर शिव लिंग स्थापित किया गया, जो तारकेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। देवताओं ने कार्तिकेय को अपनी सेना का सेनापति बना दिया। इसी प्रकार कथा के दौरान गणपति जन्म के बारे में भी बताया गया। इसके बाद उन्होंने सती अनुसूया का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि अनुसूया पतिव्रता नारी थी।

अनुसया के सतीत्व का बखान नारद ने एक बार लक्ष्मी, सरस्वती व पार्वती के समक्ष किया तब इन तीनों को अहम था। अनुसया का व्रत भंग करने की ठानी और ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अनुसया की पतिव्रतता, सतित्व की परीक्षा लेने भेजा। संयोजक ओमप्रकाश नगर ने बताया कि दंडवीर हनुमान मंदिर पर प्रतिदिन 1 से 4 बजे तक शिव महापुराण कथा आयोजित की जा रही है। सोमवार को कथा की पूर्णाहुति होगी।