वीडियो रिकॉर्डिंग से भी हो सकेगा अब बैंक के ग्राहकों का KYC 

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आधार के जरिये वीडियो कस्टमर आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस (वी-सीआईपी) की अनुमति दे दी। इससे बैंक व अन्य कर्जदाता कंपनियां दूरदराज क्षेत्रों के ग्राहकों की केवाईसी वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिये कर सकेंगे। कर्जदाता कंपनियां पहले से ही उपलब्ध ई-केवाईसी सुविधा के विकल्प के तौर पर इस नई सुविधा का इस्तेमाल कर सकेंगे।

आरबीआई ने जारी सर्कुलर में कहा कि कंपनियों को हालांकि वीडियो आधारित केवाईसी के लिए पहले ग्राहकों से अनुमति लेनी होगी। नई सुविधा से बैंकों और अन्य नियामकीय इकाइयों के लिए डिजिटल तकनीक के जरिये आरबीआई के केवाईसी (नो योर कस्टमर) नियमों का पालन करना आसान हो जाएगा।

आरबीआई ने केवाईसी के मास्टर डायरेक्शन में डिजिटल केवाईसी की परिभाषा बदली
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक नई सुविधा के लिए आरबीआई ने 25 फरवरी 2016 को जारी किए गए केवाईसी पर अपने मास्टर डायरेक्शन के सेक्शन-3 में डिजिटल केवाईसी की परिभाषा में बदलाव किया है।

नई परिभाषा के तहत डिजिटल केवाईसी का मतलब है कि जहां ग्राहकों का ऑफलाइन वैरीफिकेशन नहीं हो सके, वहां ग्राहक और आधिकारिक दस्तावेज या आधार होने के प्रमाण का लाइव फोटो कैप्चर करना। साथ ही जहां लाइव फोटो लिया जा रहा हो, वहां के अक्षांस और देशांतर का विवरण भी लिया गया हो और लाइव फोटो लेने का काम रिपोर्टिंग इकाई को अधिकृत अधिकारी कर रहा हो।

ओटीपी आधारित आधार ऑथेंटिकेशन के जरिये बैंक ग्राहकों की कर सकता है पहचान
आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक रिपोर्टिंग इकाई (आरई) उपस्थित ग्राहक का वीडियो रिकॉर्ड करने के साथ-साथ फोटो भी कैप्चर करेगी। इसके बाद बैंक ग्राहक की पहचान के लिए उसका ओटीपी आधारित आधार ऑथेंटिकेशन कर सकता है या आधार का ऑफलाइन वैरीफिकेशन कर सकता है।

बैक वी-सीआईपी में बिजनेस कॉरसपोंडेंस का भी उपयोग कर सकता है। वी-सीआईपी के तहत आरई उन ग्राहकों के पैन का फोटो लेगी, जो ई-पैन नहीं प्रस्तुत करेगा। आरई यह भी सुनिश्चित करेगी कि आधार या पैन में ग्राहक का फोटो उसके साथ मैच करता हो। साथ ही ग्राहक अपनी पहचान का जो विवरण देता हो, वह उसके आधार और पैन में दर्ज विवरण से मिलता हो।