विधान सभा चुनाव: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना लगाएगी नैया पार?

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पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP ) के मसले पर 13 जिलों में किसानों को जागरूक करने के लिए यात्रा निकालकर कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया इस दावे को भी जुमला साबित करना चाहेगी जिसमें वे कह रहे हैं कि-“मोदी है तो गारंटी है”। साथ ही दावे की यह कहकर हवा निकालना चाहेगी जिसमें श्री मोदी ने प्रधानमंत्री रहते पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अजमेर और जयपुर के ग्रामीण इलाकों में हुई चुनावी सभा में इस बात की ‘गारंटी’ दी थी कि विधानसभा चुनाव के बाद इस नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर वित्तीय मदद की जायेगी।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Rajasthan Assembly Elections: आखिरकार जैसी कि उम्मीद थी, कांग्रेस ने राजस्थान के महत्वाकांक्षी सिंचाई एवं पेयजल परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को पूर्वी राजस्थान में अपना सबसे अहम चुनावी मुद्दा बनाने की ठान ली है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के मसले के जरिए कांग्रेस राज्य के नए जिलों के गठन के पहले के 32 जिलों में से आधे से थोड़े कम 13 जिलों के किसानों को रिझाने की कोशिश करने वाली है जिसमें कोटा संभाग के चारों जिले कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ भी शामिल है।

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मसले पर कोटा संभाग का महत्व इसी बात से इंगित हो जाता है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का वायदा करके भी मुकर जाने के मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी पर झूठे वायदे करने के मसले को लेकर शिकंजा कसने के लिए कांग्रेस ने इस आंदोलन की शुरुआत कोटा संभाग के बारां जिला मुख्यालय से 16 अक्टूबर से करने का निर्णय किया है और इस आंदोलन का नारा दिया है-” काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से।”

दरअसल कांग्रेस पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मसले पर बड़ा आंदोलन खड़ा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस हालिया बयान पर जिसमें श्री मोदी ने कहा है कि- ‘मोदी है तो गारंटी है’ को लेकर बनाए जा रहे मिथक को तोड़ना चाहती है और जनता के बीच यह संदेश ले जाना चाहती है कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अजमेर और जयपुर ग्रामीण में अपनी चुनाव सभाओं में यह पक्का वादा किया था कि विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाएगा।

लेकिन उनका यह वायदा अभी तक पूरा हुआ होना तो दूर की बात है,अब तो प्रधानमंत्री अौर उनकी पार्टी के बड़े नेता इस मसले पर बोलने को भी तैयार नहीं है बल्कि भाजपा के कुछ दोयम दर्जे के नेता यह कहकर इस गंभीर और अहम मुद्दे से किसानों का ध्यान भटकाने की कोशिश करते रहते हैं कि कांग्रेस सरकार एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मसले पर राजनीति कर रहे है।

यह मसला भी जोर-शोर से उठने वाला है कि राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद पहले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नहर परियोजना के मसले को पूरी तरह से ठंडे बस्ते में डाल दिया, लेकिन बाद में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो जोधपुर की हाई प्रोफाइल सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चुनावी दंगल में परास्त किया।

उसके बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गजेंद्र सिंह शेखावत को अपनी कैबिनेट में जल संसाधन मंत्रालय का पदभार सौंपा और इसी मंत्रालय पर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर इसका काम आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है लेकिन जल संसाधन मंत्री रहते हुए श्री शेखावत ने बीते साढे़ चार सालों में इस नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की दिशा में किसी भी सरकारी स्तर पर न तो बातचीत की है और न ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री के सम्मुख यह मसला उठा कर उन्हें प्रदेश के 13 जिलों के जनता से किए वायदे को याद दिलाने की कोशिश की है।

राजस्थान के विधानसभा चुनाव को लेकर गठित की गई कांग्रेस कोर कमेटी ने पिछले रविवार को हुई अपनी बैठक में इस नहर परियोजना के मसले पर 13 जिलों में बड़े राजनीतिक आयोजन करने का फैसला किया है और यह तय किया गया है कि इन जिलों में किसानों में प्रधानमंत्री की वायदा खिलाफी के विरुद्ध अलख जगाने के लिए जागरूकता पैदा की जाए और इसके लिए एक यात्रा निकालेंगे जिसकी शुरुआत 16 अक्टूबर को कोटा संभाग के बारां में एक जनसभा करके की जाएगी।

संभावना जताई जा रही है कि बारां में होने वाली इस जनसभा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा,उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित किसी महत्वपूर्ण केंद्रीय नेता के भी संबोधित करने की उम्मीद है। कांग्रेस के लिए राजनीतिक दृष्टि से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का मसला कितना अहम है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि चुनावी कोर कमेटी ने यह तय किया है कि इस यात्रा के पूरे कार्यक्रम पर इलेक्शन वॉर रूम निगरानी रखेगा। कांग्रेस ‘काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से’ के नारे के साथ अपना अभियान चलाएगी।