राजस्थान / बजट में उद्योगों को मंदी से बाहर निकालने के प्रावधान होंगे: गहलोत

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जयपुर। केंद्रीय बजट के बाद अब राजस्थान सरकार भी बजट की तैयारियों में जुट गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में परामर्शदात्री समिति की बैठक हुई। इसमें विभिन्न औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट को लेकर अपने सुझाव सरकार को दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा देश आर्थिक मंदी के हालातों का सामना कर रहा है। ऐसे में उद्योग जगत की बड़ी भूमिका है कि वे ऐसे सुझाव दें जिनसे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सकें। राज्य सरकार उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए हर पहलू पर काम कर रही है। प्रदेश का आर्थिक वातावरण और बेहतर बन सके इसके लिए आगामी बजट में उचित प्रावधान करने का प्रयास किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी में राजस्व संग्रहण आशा के अनुरूप न होने के कारण राज्यों को मिलने वाले करों के हिस्से में कमी आई है। साथ ही, विभिन्न योजनाओं में मिलने वाले अनुदान में भी केंद्र सरकार ने कटौती की है। इसका असर प्रदेश के विकास पर पड़ रहा है। ऐसे हालातों में औद्योगिक विकास से प्रदेश की समृद्धि बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार का पूरा प्रयास है कि ईमानदारी से टैक्स अदा करने वाले उद्यमियों और व्यापारियों को किसी तरह की परेशानी न हो। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां, कानून एवं योजनाएं लागू की हैं जिससे प्रदेश में औद्योगिक वातावरण बदला है। आने वाले बजट में भी उद्योग जगत का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

बैठक में आए प्रतिनिधियों ने कहा कि विपरित आर्थिक हालातों के बावजूद राज्य सरकार ने विगत एक वर्ष में उद्योगों को पर्याप्त संबल प्रदान किया है। कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति जैसे कदमों की न केवल प्रदेश में बल्कि प्रदेश के बाहर के उद्यमी भी प्रशंसा कर रहे हैं। इनसे राज्य के उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और औद्योगिक निवेश बढ़ेगा।

मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को निवेश की दृष्टि से बेस्ट डेस्टिनेशन बनाने का प्रयास कर रही है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य ने कहा कि उद्यमियों से प्राप्त सुझावों का परीक्षण कर उचित सुझावों को बजट में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। बैठक में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला, उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा, विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, शासन सचिव एवं बड़ी संख्या में औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।