मुकुंदरा में बाघों की मौत की न्यायिक जांच हो: बाघ मित्र

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कोटा। मुकुंदरा में बाघों की असमय मौतों की न्यायिक जांच की मांग बाघ मित्रों ने की है। गत दिवस लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि हाड़ौती क्षैत्र के मुकुंदरा टाईगर रिजर्व में बाघों की गत जुलाई माह से असमय मौतों के वास्तविक कारणों का खुलासा करने के लिए नेशनल टाईगर कंजर्वेशन आॅथोरिटी की जांच पूर्ण नहीं है और वास्तविक कारण सामने नहीं आ पा रहे। आवश्यक है कि इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।

आपके प्रयासों से एनटीसीए की टीम कोटा आई उसने सभी संबंधित पक्षों के विचार नहीं जाने इससे जांच संपूर्ण नहीं कही जा सकती। कृपया आप प्रयास करें तो मुकुंदरा में पुनः बाघों की दहाड़ गूंज सकेगी। ज्ञापन पर बाघ मित्र संयोजक बृजेश विजयवर्गीय, यज्ञदत्त हाड़ा, विनीत महोबिया, इंटेक के सह समन्वयक बहादुर सिंह हाड़ा ने हस्ताक्षर किए है। विजयवर्गीय ने बताया कि हाड़ौती के पर्यटन विकास को वन विभाग के कुप्रबंधन के कारण गहरा धक्का लगा है।

चम्बल शुद्धिकरण को प्राथमिकता दें- जल बिरादरी
राष्ट्रीय जल बिरादरी एवं बाघ मित्र मंच ने चम्बल को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ने पर केंद्र सरकार एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान का आभार जताया है, और उम्मीद जताई कि अब चम्बल शुद्धिकरण पर तेजी से काम होगा। जल बिरदारी की चम्बल संसद के प्रभारी बृजेश विजयवर्गीय ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को दिए ज्ञापन में कहा कि वन विभाग द्वारा जलीय जीवों को बचाने के संदर्भ में केंद्र ने जो योजना बनाई है उससे चम्बल शुद्धिकरण का भी रास्ता खुला है।

मंगलवार 29 सितम्बर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नदियों के प्रति नई सोच को प्रकट करते हुए 30 हजार करोड़ की योजना का जिक्र किया है वो स्वागत योग्य है। चम्बल के आसपास के ईको सिस्टम को बचाने के लिए गंदे नलों को जोड़ना सबसे अहम है। उसी पर पर्यटन विकास टिका हुआ है। नदी में क्रूजर की योजना भी तभी सार्थक होगी जब चम्बल प्रदूषण से मुक्त हो। चम्बल रिवर फ्रंट आधी अधूरी योजना है। इसे संपूर्ण नहीं कहा जा सकता। केंद्र की शुद्धिकरण योजना का काम रूका हुआ है।

चम्बल संसद के सभापति जीडी पटेल एवं चंद्रकांत सिंह परमार ने बताया कि राष्ट्रीय जल बिरादरी की चम्बल संसद ने चम्बल में खतरनाक प्रदूषण के कारण निरन्तर मछलियों व मगरमच्छों की मौत पर चिंता जताते हुए केंद्रीय एवं राज्य के पर्यावरण मंत्री को भी ज्ञापन दे कर गंदे नालों को चम्बल नदी में जाने से रोकने का प्रबंध करने की मांग थी।