माता-पिता को दिए किराये पर आयकर में छूट के नियम, जानिए

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कोटा। पुरानी कर प्रणाली चुनने वाले जो वेतनभोगी किराये के मकान में रहते हैं और जिन्हें वेतन में मकान किराया भत्ता (HRA) मिलता है, वे कुछ खास शर्तें पूरी करने पर एचआरए के बदले कर छूट हासिल कर सकते हैं। मगर कर निर्धारण वर्ष 2021-22 से लागू हुई नई कर प्रणाली में एचआरए पर कर छूट नहीं मिल रही है। तो कर प्रणाली के उन हिस्सों को देखते हैं, जहां अभी यह स्पष्ट ही नहीं है कि करदाता को यह छूट मिलेगी या नहीं।

आम तौर पर यदि आप मकान का किराया देते हैं तो आपको एचआरए में छूट मिलती है। क्लियर डॉट इन के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) अर्चित गुप्ता कहते हैं, ‘शर्त यही है कि जिस मकान में आप रह रहे हैं और जो आपका अपना मकान है, दोनों अलग-अलग शहरों में होने चाहिए।’

मगर कई बार किसी शहर में किसी व्यक्ति का अपना मकान होता है फिर भी वह किराये पर रहता है। ऐसी सूरत में आपके पास अपने मकान में नहीं रहने की कोई अच्छी वजह होनी चाहिए। एक वजह यह हो सकती है कि आपका मकान आपके दफ्तर से बहुत दूर है। गुप्ता कहते हैं, ‘अगर जांच होती है तो आपको यह बात आयकर अधिकारियों को समझानी पड़ेगी।’

अलबत्ता अगर आप एचआरए पर कर छूट चाहते हैं तो आपका मकान किराये पर चढ़ा होना चाहिए। आप अपने मकान में खुद रहते हों या वह खाली पड़ा हो तो आप एचआरए में छूट नहीं मांग सकते।

कई करदाता सोचते हैं कि एचआरए पर छूट और होम लोन के ब्याज की कटौती एक साथ ली जा सकती है या नहीं। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के पार्टनर मनीत पाल सिंह समझाते हैं, ‘आप एचआरए पर छूट का दावा कर सकते हैं क्योंकि इससे आपके होम लोन पर कट रहा ब्याज कम-ज्यादा नहीं होता। इसलिए दोनों का दावा किया जा सकता है।’

कई लोग किराये के मकान में रहते हैं मगर उनके वेतन में एचआरए ही नहीं होता। सिंह कहते हैं, ‘ऐसी स्थिति में आप धारा 80जीजी के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं मगर इसके लिए आपको कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी।’ पहली, आप वेतनभोगी हों या आपका अपना रोजगार हो। दूसरी, जिस साल में आप धारा 80जीजी के तहत कटौती का दावा करते हैं, उसमें किसी भी वक्त आपको एचआरए नहीं मिला हो। सिंह समझाते हैं, ‘तीसरी शर्त यह है कि आप, आपका जीवनसाथी, आपकी नाबालिग संतान या आप जिस हिंदू अविभाजित परिवार के सदस्य हैं, उसके नाम उस जगह कोई आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए, जहां आप अभी रहते हैं, काम करते हैं, कारोबार या व्यवसाय चलाते हैं।’

साथ ही आप इस छूट का दावा तब नहीं कर सकते, जब किसी अन्य शहर में आपकी आवासीय संपत्ति में आप खुद रहते हों या वह खाली पड़ी हो। दावा तभी हो सकता है, जब आपकी संपत्ति किराये पर चढ़ी हो। अगर वह खाली पड़ी है तो आप छूट तभी ले सकते हैं, जब उसे किराये पर चढ़ा माना जाए।

अगर आप किराये पर रहते हैं और सालाना 1 लाख रुपये से ऊपर किराया देते हैं तो आपको मकान मालिक का स्थायी खाता संख्या (पैन) देना पड़ेगा। ऐसा नहीं करने पर आपको एचआरए पर आयकर छूट नहीं मिलेगी। सिंह बताते हैं, ‘मकान मालिक का पैन नहीं होगा तो उसे हलफनामा देना होगा कि उसके पास पैन नहीं है।’

आप अपने माता-पिता को किराया देते हैं तो कानूनी तौर पर आप एचआरए पर छूट का दावा कर सकते हैं। इसके लिए आपको रेंट एग्रीमेंट कराना होगा और हर महीने बैंक ट्रांसफर या चेक के जरिये किराया उनके खाते में जमा करना होगा। रेंट एग्रीमेंट और किराये की रसीद तैयार रखिए ताकि सबूत के तौर पर जमा किए जा सकें।

टीमलीज एचआरटेक के सीईओ सुमित सभरवाल समझाते हैं, ‘आपके माता-पिता को किराये पर कर अदा करना होगा। इस आय पर वे 30 फीसदी मानक कटौती का दावा कर सकते हैं। मगर जरूरी है कि संपत्ति आपके माता-पिता के नाम है।’ आपका जीवनसाथी, नाबालिग संतान या आपका नाम इसके मालिकों में नहीं होना चाहिए।

पिछले साल आयकर अपील पंचाट, नई दिल्ली ने निर्णय किया था कि कोई करदाता अगर अपने जीवनसाथी को किराया देता है तो उसे एचआरए पर छूट से वंचित नहीं किया जा सकता।

आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा आगाह करते हैं, ‘परिवार के सदस्यों खास तौर पर पति या पत्नी को किराया चुकाना हमेशा विवाद का मुद्दा रहा है क्योंकि किराया देने और लेने वालों के बीच रिश्ता गैर व्यावसायिक किस्म का होता है।’ इस तरह के लेनदेन पर कर अधिकारियों की नजर रह सकती है और इसकी जांच भी हो सकती है।