मन की बात/ हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता : मोदी

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    नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस पर ‘मन की बात’ में कहा कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। पीएम मोदी ने कहा, ‘देश के किसी भी कोने में अब भी हिंसा और हथियार के बल पर समस्याओं का समाधान खोज रहे लोगों से आज इस गणतंत्र दिवस के पवित्र अवसर पर अपील करता हूं, कि वे वापस लौट आएं।

    मुद्दों को शांतिपूर्वक तरीके से सुलझाने में, अपनी और इस देश की क्षमताओं पर भरोसा रखें।’ गणतंत्र दिवस समारोह की वजह से इस रविवार प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम के समय में बदलाव किया गया। सुबह 11 बजे की बजाय आज के लिए शाम 6 बजे का वक्त तय किया गया था। यह प्रधानमंत्री मोदी का 61वां ‘मन की बात’ कार्यक्रम है।

    पीएम ने कहा, ‘हम 21वीं सदी में हैं, जो ज्ञान विज्ञान और लोकतंत्र का युग है। क्या आपने किसी ऐसी चगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो? क्या आपने ऐसी किसी जगह के बारे में सुना है, जहां शांति और सद्भाव जीवन के लिए मुसीबत बने हों? हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं करती।’

    प्रधानमंत्री मोदी ने असम और त्रिपुरा में पिछले दिनों मिलिटेंड ग्रुप से जुड़े लोगों के सरेंडर में आई तेजी का जिक्र करते हुए कहा, ‘पिछले कुछ दिनों पहले असम में 8 अलग-अलग मिलिटेंड ग्रुप के 644 लोगों ने अपने हथियारों के साथ आत्म-समर्पण किया, जो पहले हिंसा के रास्ते पर चले गए थे उन्होंने अपना विश्वास शांति में जताया और देश के विकास में भागीदार बनने का निर्णय लिया है, मुख्य-धारा में वापस आए हैं।

    त्रिपुरा में भी 80 से अधिक लोग, हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्य-धारा में लौट आए हैं, जिन्होंने यह सोचकर हथियार उठा लिए थे कि हिंसा से समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, उनका यह विश्वास दृढ़ हुआ है कि शांति और एकजुटता ही, किसी विवाद को सुलझाने का एकमात्र रास्ता है। नॉर्थ ईस्ट में इंसरजेंसी कम हुई है और सबसे बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र से जुड़े हर एक मुद्दे को शांति के साथ, ईमानदारी से, चर्चा करके सुलझाया जा रहा है।’

    पीएम मोदी ने कहा, मेरे प्यारा देश वासियों आज 26 जनवरी है। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। यह इस साल और दशक का पहला कार्यक्रम है। आज गणतंत्र दिवस की वजह से समय बदलना पड़ा। दिन बदलते हैं समय बदलते हैं, साल बदल जाते हैं, लेकिन भारत के लोगों का उत्साह, हम भी कम नहीं, हम भी कर सकते हैं, देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना मजबूत होती जाती है। मन की बात कार्यक्रम में हम एक बार फिर एकत्रित हुए हैं। मन की बात लर्निंग, शेयरिंग का अच्छा प्लैटफॉर्म बन गया है।

    पिछले कई सालों में हमने कई संकल्प लिए होंगे, जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक, बेटी बजाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कई संकल्प हमने लिए है। हमें बिहार से शैलेष जी का खत मिला है। उन्होंने कहा कि आप मन की बात में कई अपील करते हैं। मैंने लोगों के घरों से सर्दी के कपड़े एकत्रित करके बांटने का संकल्प लिया। मैंने एक मन की बात चार्टर बनाने का संकल्प लिया है। क्या आप इस पर हस्ताक्षर करेंगे। मैं जब इसे पढ़ रहा था तो मुझे आश्चर्य हुआ। इसमें अनगिनत मुद्दों की चर्चा और हैशटैग है।

    जल संरक्षण के लिए कई व्यापक प्रयास देश के कई कोने में चल रहे हैं। पिछले मानसून में शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। इसमें समाज के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया। राजस्थान में लोगों ने बावलियों को साफ किया। किसी ने श्रमदान किया तो किसी ने धन का दान। कुछ ऐसी ही कहानी यूपी के बाराबंकी की है।

    यहां लोगों ने झील को नया जीवन दिया। एक के बाद एक कई गांव जुड़ते चले गए। अब झील पानी से लबालब है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से भी ऐसी ही कहानी है। एक किलोमीटर दूर तक पाइप बिछाकर दो दशक पुरानी समस्या को दूर किया गया। देशभर में जलसंरक्षण से जुड़ी ऐसी अनगिनत कहानियां हैं। जल संरक्षण पर किए जा रहे कार्यों को जरूर शेयर करें।

    आज मन की बात के माध्यम से असम की सरकार और लोगों को खेलो इंडिया के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं। इसमें 6 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें 80 रेकॉर्ड टूटे जिसमें से अधिकतर बेटियों के नाम रहे। खेल इंडिया से जुड़े सभी लोगों का अभिवादन करता हूं। यह खेल साल दर साल विकसित हो रहा है। तीन साल में इसमें खिलाड़ियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। इसके माध्यम से 32 सौ बच्चे आगे बढ़े हैं। इन खिलाड़ियों की कहानियां पूरे देश को प्रेरित करती हैं।

    तमिलनाडु के योगानाथन बीड़ी बनाने का काम करते हैं लेकिन उनकी बेटी ने गोल्ड जीता। डेविड बैकहम हैं, उन्होंने गोवाहाटी में साइकलिंग में गोल्ड जीता है। कुछ समय पहले जब मैं अंडमान गया था, डेविड के माता-पिता का साया बचपन में ही छिन गया था, चाचा ने इनका नाम फुटबॉलर के नाम पर रखा, लेकिन इन्होंने साइकलिंग को चुना। मुंबई की करीनी सांगता ने किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानने का जज्बा सबको प्रेरित करता है। हमने खेलो इंडिया के तर्ज पर खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी के आयोजन का फैसला किया है।

    दोस्तों परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। देश का युवा आत्मविश्वास से बढ़ा हुआ है। एक तरफ परीक्षाएं और दूसरी तरफ सर्दी। थोड़ा बहुत एक्साइरसाइज जरूर करें। आजकल फिट इंडिया को लेकर काफी प्रयास दिख रहे हैं। फिट इंडिया स्कूल की मुहिम भी रंग ला रही है। 65 हजार स्कूल आवेदन करके सर्टिफिकेट हासिल कर चुके हैं। मैं सभी देशवासियों से अपील करता हूं कि वे दैनिक जीवन में व्यायाम को जरूर शामिल करें।

    हाल ही में देश में अलग-अलग त्योहार मनाए जा रहे थे। ऐसे समय में दिल्ली एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बन रही थी। 1997 में जातीय संघर्ष के कारण ब्रू जनजातिय को मिजोरम से निकलना पड़ा था। उन्हें त्रिपुरा में कैंपों में रखा गया। उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ा। 23 साल तक कैंपों में कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करना कष्टकारी रहा होगा। लेकिन इतने कष्ट के बावजूद उनका विश्वास भारतीय संविधान में बना रहा।

    अब समझौते के लिए उनकी दिक्कत दूर हो जाएगी। अब उन्हें त्रिपुरा में बसाया जाएगा। इसके लिए 600 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। जमीन और घर दिया जाएगा। सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। मैं मिजोरम और त्रिपुरा के सरकार का आभार व्यक्त करता हूं।