नयी सरकार के मंत्रिमंडल से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

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नई दिल्ली। बीते सप्ताह चुनावी नतीजे के दम पर ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने वाले घरेलू शेयर बाजार की दिशा आगामी सप्ताह जारी होने वाले दिग्गज कंपनियों के वित्तीय परिणाम, आर्थिक आंकड़े, रुपये की चाल, नयी सरकार के मंत्रिमंडल के अलावा वैश्विक संकेतों तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढाव से तय होगी।

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1,503.95 अंक यानी 3.96 प्रतिशत की तेज छलांग लगाकर अब तक के रिकॉर्ड स्तर 39,434.72 अंक पर तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 436.95 अंक यानी 3.83 प्रतिशत की भारी साप्ताहिक बढ़त के साथ 11,844.10 अंक के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स पहली बार 40,000 अंक के पार
दिग्गज कंपनियों की तरह छोटी और मंझोली कंपनियों के प्रति भी निवेशकों का रुझान गत सप्ताह बना रहा, जिससे बीएसई का मिडकैप 636.88 अंक यानी 4.45 प्रतिशत की साप्ताहिक तेजी के साथ 14,945.24 अंक पर और स्मॉलकैप 812.42 अंक यानी 5.85 प्रतिशत की साप्ताहिक बढ़त के साथ 14,699.56 अंक पर बंद हुआ।

बीते सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी कारोबार के दौरान ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचे। सेंसेक्स पहली बार 40,000 अंक के आंकड़े को पार कर हुआ 40,124.96 अंक पर पहुंचा और निफ्टी भी 12,000 अंक के आंकड़े के पार 12,041.15 अंक पर पहुंचा।

सरकार के गठने पर निवेशकों की नजर
आगामी सप्ताह शुक्रवार को वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े जारी होने हैं। गत वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी की विकास दर घटकर 6.6 प्रतिशत रह गयी थी। इससे पहले पहली तिमाही में जीडीपी की विकास दर 8.2 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही थी। शुक्रवार को वित्तीय घाटे और कोर उत्पादन के आंकड़े जारी होने हैं।

आगामी सप्ताह केंद्र की नयी सरकार के मंत्रिमंडल का गठन होना है जिस पर निवेशकों की लगातार नजर बनी रहेगी। हालांकि अभी कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया जाना है लेकिन मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलती है, इस पर निवेशक नजर बनाये रखेंगे। इसके अलावा अगले सप्ताह गुरुवार को मई का वायदा करार खत्म हो रहा है जिसका असर निवेश धारणा पर पड़ेगा।

अमेरिका चीन विवाद का असर
अगले सप्ताह पंजाब नेशनल बैंक,अदानी पोटर्स,भेल, गेल, इंडिगो, कोल इंडिया, पावर ग्रिड और सन फार्मा जैसी कंपनियां अपने वित्तीय परिणाम जारी करने वाली हैं,जिसका असर शेयर बाजार पर रहेगा। डॉलर की तुलना में रुपये की स्थिति भी निवेश धारणा को प्रभावित करेगी। वैश्विक स्तर पर चीन के विनिर्माण उत्पाद,जापान के औद्योगिक उत्पादन और अमेरिका के निजी आय-व्यय के आंकड़े जारी होने हैं,जो निवेश धारणा को प्रभावित करेंगे। अमेरिका-चीन विवाद का असर भी बाजार पर रहेगा।