गीता की शिक्षाओं को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए, तभी समाज को लाभ: भारद्वाज

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कोटा। गीता सत्संग आश्रम समिति के तत्वावधान में 62वें गीता जयंती महोत्सव दौरान शुक्रवार को व्याख्यानमाला के क्रम में मोटिवेशनल गुरू तथा तकनीकी शिक्षा परिषद भारत के सार्वजनिक उपक्रम के पूर्व प्रबंध निर्देशक पीएम भारद्वाज ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता को छात्रों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए।

इसके बिना युवा वर्ग में इसके प्रति रूचि नहीं बढ़ सकती। सरकारों को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शास्त्रों का निचोड युवाओं को जानना जरूरी है। भारद्वाज ने बताया कि अंग्रेज भारत की शिक्षा पद्धति को नष्ट- भ्रष्ट करने के बाद ही यहां राज कर सके।

1835 में हाउस आफ काॅमर्स की मीटिंग से यह प्रमाणित होता है कि भारत की संस्कृति, सभ्यता कितनी उत्कृष्ट थी, यह फीडबेक भारत में रहे बिटिश गर्वनर जनरलों ने वहां की सरकार को दिया। भारत का शिक्षा तंत्र बहुत मजबूत था। आज भी कोरोना काल में भारत ने विश्व को वेक्सीन बना कर दी है ।

इस अवसर पर हैवी वाटर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एएन वर्मा ने कहा कि गीता में प्रबंधन की शिक्षा है। पराक्रमी अर्जुन जब किंकर्त्तव्यविमूढ़ था, तो श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर उसे कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ाया। ऐसी स्थिति आज भी कर्मशील लोगों के जीवन में हमेशा आती रहती है। वर्मा ने कहा कि धर्म नहीं होगा तो अधर्म हावी होगा। अर्जुन वीरता के और कृष्ण युक्ति के प्रतीक हैं। महाभारत से हमें सीख मिलती है कि अनीति पर चल कर कोई भी सफल नहीं हो सकता।

गीता के प्रवक्ता स्वामी कृष्णकांत द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में कहा कि श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को उपदेश देने से पूर्व रथ हांकर कर उसे सहयोग दिया। सहयोग से ही व्यक्ति पुरूषार्थ की ओर आसानी से अग्रसर होता है। परिणामों के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए, अपनी ऊर्जा क्रिया को संपादित करने में लगानी चाहिए। कृष्णकांत ने जोर देते हुए कहा कि शिक्षा नीति में गीता के उपदेश डालना चाहिए। इस अवसर पर गीता सत्संग आश्रम समिति के अध्यक्ष राजेंद्र खण्डेलवाल ने स्वागत भाषण में गीता जयंती के बारे में बताया। शहर के गणमान्य लोगों ने गीता जयंती कार्यक्रम में भागीदारी की। संचालन बंशीधर गुप्ता ने किया।

  • रासलीला में गिरिराजधरण की पूजा
    गीता जयंती के उपलक्ष्य में गीता भवन सभागार में शुक्रवार शाम वृंदावन के छोटे ठाकुर हरिबल्लभ शर्मा के निर्देशन में भव्य रासलीला में गिरिराजधरण की पूजा हुई। इंद्र के कोप से बृज में भारी वर्षा होती है और श्रीकृष्ण कनिष्ठा अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर बृजवासियों को कोप से बचाते हैं। “गिर्राजधरण तुमरी शरण….माथे मुकुट बिराज रह्यो, श्रीगोवर्द्धन महाराज, छटा तेरी तीन लोक से न्यारी है आदि भजनों पर दर्शक भाव विभोर हो गए। इस मौके पर छप्पन भोग की झांकी भी सजाई गई। छोटे ठाकुर 5 वर्ष की आयु से ही रासलीला का देश विदेशों में संचालन कर रहे है।