ऑनलाइन शॉपिंग में Fraud से ऐसे बचें, जानिए सही तरीका

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बदलते दौर में, ऑनलाइन शॉपिंग ट्रेंड के साथ-साथ जरुरत भी बन चुकी है लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो सिर्फ ठगे जाने के डर से ऑनलाइन शॉपिंग नहीं करता है। कुछ लोगों को डर होता है कि उनके डेबिट या क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स लीक हो जाएंगी तो कुछ लोगों को इस बात की चिंता सताती है कि उन्हें सही सामान नहीं मिलेगा। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था।

हुआ कुछ यूं कि सोनाक्षी सिन्हा ने अमेजॉन से 18 हजार की कीमत वाला बोस का एक हेडफोन ऑर्डर किया था। उनके ऑर्डर की डिलीवरी तो हुई लेकिन हेडफ़ोन के बॉक्स में 18 हजार का बोस का हेडफोन होने के बजाय लोहे का एक टुकड़ा निकला। देखने में वो टुकड़ा किसी नल का हिस्सा लग रहा था।

लेकिन अगर किसी ने 18 हजार का हेडफोन ऑर्डर किया है तो उसे बेकार लोहे का टुकड़ा क्यों डिलीवर हुआ।? ये सवाल बहुत से लोगों के जहन में उठा।  अमेजॉन इंडिया के प्रवक्ता की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि  हम इस मामले की पूरी जांच कर रहे हैं। हमने उपभोक्ता से इस मामले को सुलझा लिया है और उनको हुई असुविधा के लिए खेद भी जताया है।’

कैसे होती है सामानों की डिलीवरी?
amazon flipkart : दुनिया के बड़े ऑनलाइन रीटेलर्स में से एक अमेजॉन रोजाना लाखों पैकेट दुनिया के अलग-अलग हिस्से में पहुंचाता है। जब हम कोई चीज़ ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं तो सबसे पहले सॉफ़्टवेअर यह पता लगाता है कि वह चीज कहां रखी हुई है। यह सॉफ्टवेअर किसी कर्मचारी को बताता है कि वो चीज कहां रखी है।

वो कर्मचारी वेयर-हाउस के उक्त शेल्फ तक पहुँचता है, पैकेट उठाता है, फिर हाथ में उठाए स्कैनर से स्कैन करता है। स्कैनर तय करता है कि वो सही पैकेट है, उस पर पता सही है या नहीं, और फिर उस पर ग्राहक का नाम, पते की पर्ची चिपका देता है। जिसके बाद इस सामान को डिलीवर कर दिया जाता है।

ऑर्डर की हुई चीज डिलीवरी के समय बदल कैसे जाती हैं?
जब ये सारा काम इतने सिस्टमैटिक तरीके से होता है तो गलती होने की गुंजाइश कहां है? इस पर ई-कॉमर्स और साइबर मामलों के जानकार विनीत कुमार बताते हैं कि अगर आपने सामान अच्छी ई-कॉमर्स वेबसाइट से खरीदे हैं तो कंपनी के स्तर पर गड़बड़ी होने की गुंजाइश बहुत कम होती है। अमूमन लोग ‘सेलर्स’ पर ध्यान नहीं देते। सेलर्स की रेटिंग इस तरह की धांधलियों के लिए खासतौर पर जिम्मेदार होती है। इसके अलावा कई बार डिलीवरी ब्वॉय भी सही सामान निकालकर कुछ भी भर देते हैं।

कैसे बचें इस तरह की धांधली से
विनीत बताते हैं कि सबसे पहले तो रेटिंग चेक करें। डिलीवरी ब्वॉय सामान देने आए तो उसे रोके रखें और उसके सामने ही बॉक्स खोले। बॉक्स खोलते समय वीडियो भी बनाएं ताकि आपके पास इस बात का सुबूत हो कि आपको गलत सामान मिला है।

विनीत मानते हैं कि कई बार गलत सामान आ जाता है लेकिन वो ये भी मानते हैं कि कई बार लोग भी धोखा करते हैं और सही सामान आने के बावजूद ग़लत होने की शिकायत करते हैं। ऐसे में वीडियो बना लेना हमेशा ही सुरक्षित है। विनीत मानते हैं कि सबसे ज़रूरी ये है कि जिस वेबसाइट से ख़रीदारी की गई हो वो जानी-मानी हो और उसकी रेटिंग अच्छी हो।

इन बातों का रखें ध्यान
कभी भी ऑनलाइन शॉपिंग शुरू करने से पहले याद रखें कि कंप्यूटर पर एंटी-वायरस जरूर होना चाहिए। इसके बाद इन तमाम बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऑनलाइन शॉपिंग के लिए सबसे पहले तो ये ध्यान रखें कि जिस भी ई-शॉपिंग वेबसाइट से आप खरीदारी करें उसके एड्रेस में http नहीं, बल्कि https हो। ‘S’ जुड़ जाने के बाद सिक्योरिटी की गारंटी हो जाती है और वो फेक साइट नहीं होगी।

कभी-कभी ‘S’ वेबसाइट में तब जुड़ता है जब ऑनलाइन पेमेंट का समय आता है। फिर ये चेक करें कि जहां से सामान खरीदा जा रहा है, उसका पता, फोन नंबर और ई-मेल एड्रेस वेबसाइट पर लिखा है या नहीं। धोखा करने वाली वेबसाइट्स अपने पेज पर ये जानकारी शेयर नहीं करती हैं।