आयोजन समिति ने 140 संगोष्ठी कर बताया नववर्ष का वैज्ञानिक महत्व

0
197

कोटा। नववर्ष उत्सव आयोजन समिति के तत्वावधान में शनिवार को भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल एकम विक्रम सम्वत 2080 और उसके वैज्ञानिक महत्व को लेकर विभिन्न स्थानों पर संगोष्ठी अयोजित की गई।

प्रचार प्रसार समिति संयोजक आशीष मेहता ने बताया कि शहर भर में विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, कोचिंग संस्थानों, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थानों, मातृशक्ति आदि संस्थानों के सहयोग से विचार गोष्ठियों का आयोजन किया गया है। विचार गोष्ठी प्रमुख डॉ. विमल जैन बताया कि कोटा शहर में 140 स्थानों पर संगोष्ठी आयोजित की गई।

इन गोष्ठियों में वक्ता के रूप में डॉ. विमल जैन, डॉ. नारायण हेड़ा, डॉ. नीलप्रभा नाहर, श्वेता जैन, वंदना मित्तल, पल्लवी न्याती, ऋतु गोयल, सुशीला सिंघल, डा. अनुपमा चतुर्वेदी, डा. शीला तिवारी, डा. दिनेश तिवारी, डा. आलोक चौहान, डा. भालचंद्र तेलंग, डा. कपिल गौतम, डा. विपिन योगी, संजय शर्मा, बाबूलाल रेनवाल, दिनेश स्वर्णकार, पवन सिंह, मनोज गौतम, नवल किशोर, रासबिहारी, वीरेन्द्र जैन, नववर्ष से सम्बन्धित अनेक पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि हमारा नववर्ष प्रकृति स्वयं मनाती है। प्रकृति में परिवर्तन होते हैं, खेतों में धन धान्य होता है और ऋतुएं भी बासंती हो जाती हैं। हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा गुड़ी पड़वा से होता है। इस नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग अलग नाम से पुकारा जाता है।

इसी कैलेंडर से 12 माह और 7 दिवस बने हैं। 12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।

वक्ताओं ने कहा कि वर्ष प्रतिपदा पर प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है। जनवरी में प्रकृति का चक्र पूरा नहीं होता। धरती के अपनी धुरी पर घुमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने लेने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है। असल में वही नववर्ष होता है।

नववर्ष में नए सिरे से प्रकृति में जीवन की शुरुआत होती है। वसंत की बहार आती है। चैत्र माह अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च और अप्रैल के मध्य होता है। वर्ष प्रतिपदा को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, ‍उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी दिन से धरती प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है।

मटकी फोड़ प्रतियोगिता होगी मुख्य आकर्षण
नववर्ष उत्सव आयोजन समिति द्वारा नववर्ष की पूर्व संध्या पर 21 मार्च को आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान किशोर सागर तालाब की पाल पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण होगी।

प्रतियोगिता के संयोजक मधु विश्नोई तथा सहसंयोजक देवेंद्र राही ने बताया कि समिति के सदस्यों ने आयोजन स्थल किशोर सागर तालाब पर जाकर सभी मुख्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मटकी फोड़ प्रतियोगिता की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। इस अवसर पर प्रथम विजेता को 5100 रुपए, द्वितीय विजेता को 3100 रुपए व तृतीय विजेता को 2100 रुपए तथा ट्राफी दी जाएगी।