क्यों है भारत में डीजल-पेट्रोल महंगा, जानिए इसके पीछे का सच

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नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव आसमान छू रहे हैं और उसकी वजह से भारत में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में आग लगी हुई है। तेल की कीमतों में लगी आग की गर्मी सबसे ज्यादा सियासी गलियारे में महसूस की जा सकती है। विपक्ष भी इस आग की आंच में हाथ सेंक रहा है। वहीं सत्तापक्ष ने पेट्रोल-डीजल से होने वाली कमाई का कल्याणकारी योजनाओं में इस्तेमाल करने की बात बोलकर सबका मुंह बंद कर दिया है।

कांग्रेस ने भाजपा पर डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने को लेकर उंगली उठाई तो धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan on Diesel Petrol Price) ने महंगे डीजल-पेट्रोल के लिए कांग्रेस (Congress on Diesel Petrol Price) को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। दरअसल, कांग्रेस लगातार डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर मोदी सरकार को घेर रही है। बढ़ी कीमतों के लिए कांग्रेस ने भाजपा की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

पेट्रलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अभी डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों की एक बड़ी वजह है कांग्रेस, जिसने 2014 से पहले तेल बॉन्ड को लेकर भाजपा पर लाखों करोड़ों रुपये बकाया छोड़ दिया। प्रधान ने कहा है कि अब भाजपा को कांग्रेस के उस बकाया का मूलधन और उस पर लगने वाला ब्याज चुकना करना पड़ रहा है। उन्होंने इसे भी डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की वजह बताया है।

1.31 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड
पहले की सरकारों ने करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड्स जारी किए थे, जिनका भुगतान इस साल अक्टूबर से लेकर मार्च 2026 के बीच मौजूदा सरकार को करना होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी साल केंद्र को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये तो सिर्फ ब्याज चुकाना पड़ सकता है। इसके बाद 2023 में 22 हजार करोड़, 2024 में 40 हजार करोड़ और 2026 में 37 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।


ऐसा नहीं है कि सिर्फ धर्मेंद्र प्रधान कांग्रेस को डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के लिए जिम्मेदार मानते हैं। अमित मालवीय का भी यही मानना है कि कांग्रेस के तेल बॉन्ड बकाया की वजह से आज डीजल-पेट्रोल की कीमतें आसमान पर पहुंच चुकी हैं।

अब समझिए क्या होता है तेल बॉन्ड
तेल बॉन्ड एक तरह से स्पेशल सिक्योरिटीज होती हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से तेल मार्केटिंग कंपनियों को कैश सब्सिडी के एवज में दिया जाता है। ये बॉन्ड अमूमन लंबी अवधि के होते हैं, जैसे 15-20 साल। तेल कंपनियों को इन बॉन्ड पर ब्याज चुकाया जाता है।

महंगा कच्चा तेल
डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों की एक बड़ी वजह है कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी। मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमत 72-75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रह रही है। धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में लगातार तेजी देखी जा रही है और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से डीजल-पेट्रोल की कीमतें भी ऑल टाइम हाई के स्तर तक पहुंच चुकी हैं।