रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने माना कि नोटबंदी के पीछे इरादा काफी अच्छा था, लेकिन इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि उन्होंने सरकार को नोटबंदी से दीर्घावधि के फायदों पर निकट भविष्य के नुकसान के हावी होने को लेकर चेतावनी दी थी। राजन ने कहा कि उन्होंने काले धन को सिस्टम में लाने का मकसद पूरा करने के दूसरे तरीके भी सुझाए थे।
राजन ने कहा कि उन्होंने फरवरी 2016 में मौखिक तौर पर अपनी सलाह दी और बाद में आरबीआई ने सरकार को एक नोट सौंपा जिसमें उठाए जाने वाले जरूरी कदमों और इसकी समय सीमा का पूरा खाका पेश किया गया था।
राजन ने ये सारी बातें अगले सप्ताह आनेवाली अपनी पुस्तक ‘I Do What I Do: On Reforms Rhetoric and Resolve’ (मुझे जो करना होता है, वह मैं करता हूं, सुधारों का शोरगुल और संकल्प) में लिखी हैं।
वह लिखते हैं, ‘आरबीआई ने इस ओर इंगित किया कि अपर्याप्त तैयारी के अभाव में क्या हो सकता है।’ उन्होंने आरबीआई गवर्नर का अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद बतौर फैकल्टी शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनस में वापसी कर ली।
राजन ने यह भी स्पष्ट किया कि आरबीआई से संपर्क तो किया गया था, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी नोटबंदी पर फैसला लेने को नहीं कहा गया। राजन का कार्यकाल 5 सितंबर 2016 को पूरा हो गया था जबकि नोटबंदी की घोषणा 8 नवंबर 2016 को की गई।
तब प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बंद करने का ऐलान किया था। इसी सप्ताह आरबीआई की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि पुराने बंद किए गए 500 और 1000 रुपये के 99 प्रतिशत नोट बैंकों में जमा हो गए।
सरकार ने नोटबंदी के फैसले का यह कहते हुए बचाव किया कि इससे टैक्स बेस बढ़ने से लेकर डिजिटल ट्रांजैक्शन में इजाफे तक कई दूसरे फायदे हुए हैं। राजन ने माना कि नोटबंदी के पीछे इरादा काफी अच्छा था, लेकिन इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।