नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल को गुड सर्विस टैक्स (GST) के दायरे में लाने की चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन इस पर राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए GST परिषद की सिफारिश जरूरी है। अभी तक GST परिषद ने ऐसी कोई अनुशंसा नहीं की है।
किसी भी वस्तु पर GST लगाने या हटाने या उनकी दरों में परिवर्तन करने के लिए GST परिषद में फैसला लिया जाता है। इसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं और देश के वित्त मंत्री इसकी अध्यक्षता करते हैं।
SBI के अर्थशास्त्रियों के अनुसार देशभर में पेट्रोल का दाम घटकर 75 रुपए और डीजल 68 रुपए प्रति लीटर पर आ सकता है। इसके लिए इसको गुड्स और सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में लाना होगा। लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में ये काफी महंगे बने हुए हैं। मौजूदा कर व्यवस्था में हर राज्य अपने हिसाब से पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाता है और केंद्र अपनी ड्यूटी और सेस अलग से वसूल करता है।
सरकारें वसूलती हैं भारी भरकम टैक्स
पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज पर जो अभी 32 रुपए के करीब है, इस पर केंद्र सरकार 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइज से 3 गुना तक बढ़ गया है।
GST के दायरे में लाने की मांग
दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने की मांग की है। महाराष्ट्र के डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजित पवार ने कहा कि अगर पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाता है तो राज्य सरकारों के साथ साथ केंद्र को भी फायदा पहुंचेगा।