राइट टू प्राइवेसी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, पर्सनल जानकारी कोई भी तीसरा व्यक्ति सार्वजनिक नहीं कर सकता।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राइट टू प्राइवेसी पर फैसला देने के बाद अब आपकी निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाएगी।
इसका मतलब ये है कि अब आपके पैन कार्ड, आधार कार्ड और क्रेडिट कार्ड की जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं जा सकेगी।
कोर्ट ने साफ किया है कि निजता के अधिकार की सीमा तय होगी। अगर कोई इस फैसले का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ केस भी दर्ज कर सकेंगे।
थर्ड पार्टी नहीं कर सकेगी आपकी जासूसी
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कोई भी व्यक्ति निजी जानकारी के जरिए आपकी जासूसी नहीं कर सकेगी। इस फैसले के बाद पैन, क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट, पासपोर्ट और टिकट बुकिंग के लिए आप जो भी अपनी पर्सनल जानकारी देते हैं, उसको कोई भी तीसरा व्यक्ति लीक या फिर सार्वजनिक नहीं कर सकता है।
सीधे सर्च वारंट से रेड नहीं कर सकेगी पुलिस
अब कोर्ट के फैसले के बाद सरकारी एजेंसियों और थर्ड पार्टी के लिए ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा। मान लिजिए आपके घर पर पुलिस की रेड पड़ती है और उनके पास सर्च वारंट है। लेकिन इसके बाद भी पुलिस सीधे तौर पर आपके घर में नहीं घुस सकेगी।
जानकारी देने से इंकार नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि अगर कोई व्यक्ति बैंक में नया खाता खुलवाने जाता है या फिर पैन कार्ड बनवाता है, तो सरकार या एजेंसियों द्वारा मांगे जाने वाली जानकारी आपको देनी होगी। आप किसी भी तरह की जानकारी देने से इंकार नहीं कर सकते हैं। लेकिन सरकार, इनकम टैक्स, बैंक इसको किसी भी हालत में लीक नहीं कर सकते।
टेलिकॉम कंपनियां भी नहीं बेच सकेंगी डाटा
कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंक और टेलिकॉम कंपनियां अपने कस्टमर का डाटाबेस थर्ड पार्टी को नहीं बेच सकेंगी। पहले थर्ड पार्टी कंपनियां मोबाइल कंपनियों और बैंक से खरीद लेती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
सरकार ने दी थी सुप्रीम कोर्ट में यह दलील
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि आधार कार्ड को पैन से लिंक करने से जाली पैन कार्ड पर रोक लगेगी और लोगों को राइट टू प्राइवेसी का अधिकार है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है।