कृषि बिल के विरोध में पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने लौटाया पद्म विभूषण

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नई दिल्ली। किसान संगठनों और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर-पीयूष गोयल के बीच मंगलवार को पहले दौर की बातचीत असफल रही थी, इसके बाद आज फिर दोनों पक्षों के बीच कृषि कानून के प्रावधानों पर चर्चा होगी।

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानूनों को केंद्र सरकार का किसानों के साथ किया गया धोखा बताकर अपना पद्म विभूषण लौटाने का ऐलान किया। बता दें कि अकाली दल पहले ही इन कानूनों के विरोध में एनडीए से अलग हो चुका है। इसके चलते हरसिमरत कौर बादल को अपना मंत्रीपद भी छोड़ना पड़ा था।

इससे पहले किसान संगठनों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच अहम बैठक दोपहर 12.30 बजे शुरू हो गई। इसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल 40 किसान नेताओं के साथ बातचीत में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले एक दिसंबर को भी केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच एक बैठक हो चुकी है।

किसानों के तेज होते प्रदर्शन के बीच गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की। मीटिंग के बाद पंजाब सीएम ने कहा कि उन्होंने अमित शाह से साफ कर दिया कि यह पूरा मुद्दा किसानों और सरकार के बीच है, इसलिए उनके पास इसमें सुलझाने के लिए कुछ नहीं है। बता दें कि अमरिंदर सिंह पहले ही किसानों और केंद्र के बीच बातचीत के पक्षधर रहे हैं और दोनों के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी कर चुके हैं।

माना जा रहा है कि अगर किसान संगठनों और सरकार के बीच इस बैठक में कुछ बिंदुओं और एमएसपी जैसे वादों पर सहमति बन जाती है, तो किसान आंदोलन खत्म हो सकता है। पर अगर ऐसा नहीं होता है, तो आने वाले दिनों में आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

इसकी एक वजह यह है कि किसान संगठनों ने 5 दिसंबर से प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है। इसी दिन से मोदी सरकार और कृषि कार्यों में दिलचस्पी दिखाने वाले औद्योगिक घरानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे। इतना ही नहीं ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए कहा है कि अगर सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तो यूनियन आठ दिसंबर से उत्तर भारत में चक्का जाम कर देगी। इसके बाद पूरे देश में ट्रकों की हड़ताल की जाएगी।