नई दिल्ली। अगर आपने कोरोना संकट से उपजे आर्थिक तंगी से निपटने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) से रकम निकासी की है तो आपको अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इसकी जानकारी जरूर देनी होगी।
डीवीएस सलाहकार एलएलपी के संस्थापक दिवाकर विजयसारथी ने कहा कि पीएफ खाते से निकाली गई रकम की जानकारी आयकर रिटर्न में दिखानी जरूरी है। चाहे निकाली गई राशि आयकर के दायरे से बाहर ही क्यों न हो। वैसे तो कर्मचारी के पांच साल की निरंतर सेवा पूरी करने पर निकासी की छूट का प्रावधान है।लेकिन वहीं अगर कोई कर्मचारी पांच साल की अवधि से पहले अपना पीएफ निकाल लेता है तो उसे आयकर कानून के नियमों के हिसाब से टैक्स भरना पड़ता है।
क्यों जरूरी है जानकारी देना
सरकार ने कोरोना महामारी के चलते लोगों को पीएफ से निकासी की अनुमति दी है। कर्मचारी अपने खाते से 75 फीसदी तक की राशि या तीन महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ता जो भी कम हो निकाल सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपके पीएफ खाते में 1 लाख का बकाया है और आपका मूल वेतन+महंगाई भत्ता कुल 20,000 रुपये प्रति माह है तो आप 60,000 तक की निकासी के लिए पात्र होंगे।
सरकार के निर्देश के अनुसार, कर्मचारी को पांच साल की सेवा पूरी नहीं करने पर भी कोरोना राहत के तहत निकासी कर से छूट दी गई है। हालांकि, विशेषज्ञ आयकर रिटर्न फाइल करते समय निकाली गई राशि की जानकारी देने की सलाह देते हैं क्योंकि अगर आयकर विभाग करदाता के खाते की जांच करती है और उसमें इस राशि को शामिल नहीं किया जाता तो ये बेमेल हो सकता है। भले ही उसमें छूट का प्रावधान ही क्यों ना हो।
रिटर्न फॉर्म में विशेष कॉलम दिया गया
इस बार के आयकर रिटर्न फॉर्म में पीएफ निकासी की जानकारी देने के लिए विशेष कॉलम दिया गया है। इसका मतलब होता है ये छूट के दायरे में है लेकिन फिर भी इसे दिखाना जरूरी है। इस राशि पर किसी प्रकार की कोई पेनाल्टी नहीं लगती है। गौरतलब है कि आयकर कानून के धारा 80सी के तहत पीएफ में सालाना 1.5 लाख रुपये जमा पर कर छूट मिलती है।