नई दिल्ली। फ्यूचर ग्रुप की ओर से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को अपना रिटेल बिजनेस बेचे जाने की डील को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की मंजूरी मिल गई है। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई इस डील का अमेजॉन विरोध कर रहा था। ऐसे में जेफ बेजोस की कंपनी को CCI के फैसले से करारा झटका लगा है। अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बिग बाजार जैसे ब्रांड्स के मालिक फ्यूचर ग्रुप के रिटेल बिजनेस को खरीदने का ऐलान किया था। यह डील 24,713 करोड़ रुपये में हुई थी।
इस डील के साथ ही रिटेल सेक्टर में रिलायंस इंडस्ट्रीज का दखल और बढ़ गया है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस डील को मंजूरी देते हुए कहा है कि Competition Act, 2002 के सेक्शन 31(1) के तहत इस डील को मंजूरी दी गई है। इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप की छह कंपनियों फ्यूचर कन्जयूमर लिमिटेड, फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन्स, फ्यूचर रिटेल लिमिटेड, फ्यूचर मार्केट नेटवर्क्स लिमिटेड, फ्यूचर सप्लाई चेन सॉलूशंस लिमिटेड और फ्यूचर बाजार लिमिटेड का फ्यूचर इंटरप्राइजेज में विलय होना है।
इसके बाद इस संयुक्त कंपनी का ट्रांसफर रिलायंस रिटेल को किया जाना है। इस डील में शामिल कई कंपनियां शेयर बाजार में भी लिस्टेड हैं। CCI की ओर से डील को दी गई मंजूरी अमेजॉन के लिए करारा झटका है, जो लगातार इसका विरोध कर रहा था। यही नहीं अमेजॉन ने इस डील के खिलाफ सिंगापुर की आर्बिट्रेशन कोर्ट में अर्जी भी डाली थी, जिसने इस करार को रोकने का आदेश दिया था। इसके बाद अमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप ने इस आदेश को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी अर्जी डाली थी।
हालांकि अब CCI की ओर से मंजूरी दिए जाने के साथ ही पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है। बता दें कि भारतीय रिटेल मार्केट के किंग कहलाने वाले किशोर बियानी बीते कुछ सालों से आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे थे। यह संकट कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान और बढ़ गया था।
खुद किशोर बियानी ने रिटेल बिजनेस बेचने की मजबूरी उजागर करते हुए कहा था कि भले ही कारोबार बंद हो जाए, लेकिन कर्ज पर ब्याज और किराया जारी रहता है। उन्होंने कहा कि इस कोरोना संकट में ही उनकी कंपनी को 7,000 करोड़ से ज्यादा का लॉस हुआ था और ऐसी स्थिति में बिजनेस बेचने ही एकमात्र विकल्प रह गया था।