कोटा। शहर में स्कूल व कोचिंग में क्लासरूम की पढ़ाई शुरू करने की मांग को लेकर अब शहरवासी सड़कों पर उतरना शुरू हो गए हैं। शहर के विभिन्न संगठनों द्वारा आंदोलन करने के लिए कोटा बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया है। समिति के बैनर तले शुक्रवार को बड़ी संख्या में प्रभावित शहरवासियों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और जिला कलक्टर उज्जवल राठौड़ को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन दिया।
प्रदर्शन करने वालों में शहर के हॉस्टल, पीजी, मैस संचालक, व्यापारिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, ऑटो चालक यूनियन के सदस्य तथा फुटकर व्यवसायी शामिल थे। प्रदर्शन करने वालों में बेरोजगार हुए फुटकर व्यापारी, चाय-पोहे के ठेले लगाने वाले, मैस व हॉस्टल्स में काम करने वाली महिलाओं के साथ-साथ हॉस्टल व मैस संचालक भी शामिल थे।
कोटा बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि कोटा में जल्द से जल्द क्लासरूम कोचिंग शुरू की जाए। कोटा पूरी तरह से कोचिंग संस्थानों पर निर्भर है, यहां की अर्थव्यवस्था का पहिया कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के माध्यम से ही चलता है। कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के चलते मार्च माह से ही कोटा में कोचिंग की गतिविधियां बंद है।
8 माह से अधिक समय से कोचिंग की गतिविधियां बंद होने के कारण कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स नहीं आ रहे हैं, यहां कोचिंग के साथ-साथ हॉस्टल्स बंद है, पीजी रूम्स खाली पड़े हैं, मैस बंद हैं, यही नहीं कोचिंग क्षेत्रों में छोटी-छोटी दुकानों से लेकर चाय-पोहे के ठेले वालों तक का रोजगार खत्म हो गया है। एक लाख से अधिक लोगों के परिवार सीधे तौर पर कोचिंग संस्थान बंद होने के कारण प्रभावित हो रहे हैं