डिजिटल रिसोर्सेज एट होम उपलब्ध कराना एक चुनौती : डॉ. दीपक

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कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा मे भारतीय पुस्तकालय एवं सुचना विज्ञान के जनक पद्म श्री डॉ. शियाली रामामृत रंगानाथन की 129वीं जयंती समारोह को राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्य्क्ष दिवस कार्यक्रम के रुप में आयोजन किया गया।

इस अवसर पर covid -19 तथा डिजिटल निर्भरता विषय पर डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा की – कोरोना की वजह से हमें डिजिटल रिसोर्सेज को एट होम उपलब्ध करवाने की और बढना होगा। लेकिन एक बडी चुनोती यह है कि देश का प्रमुख पाठक वर्ग हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं मे अध्ययन करता है।

इन भाषाओं मे डिजिटल साहित्य नही के बराबर है। इसके लिये भारत सरकार को एक डिजिटल बुक्स को हिंदी सहित क्षेत्रीय भाषाओं मे उपलब्धता कराना होगा । इस अवसर पर डा प्रभात द्वारा संपादित एवं नव आगत पुस्तक “मिडिया संसार” पर विमर्श भी किया गया

ठाकुर करण सिंह मेमोरियल ग्रामीण पुस्तकालय के लाईब्रेरियन योगेंद्र सिंह ने कहा कि रंगानाथन का सपना था कि सार्वजनिक पुस्तकालयों का काफी द्रुत गति से विकास हों गांव –गांव ढाणी – ढाणी तक पुस्तकालय हो तथा उन तक आम आदमी की पहुंच हो । डा मनीषा मुदगल ने कहा कि सार्वजनिक पुस्तकालयों का जीवन में बडा ही महत्व हैं क्योंक यह पुस्तकालय हमें अनवरत शिक्षा एवं अध्ययन से जुडने का मौका देते हें।

उन्होने बताया की पुस्तकें पढने से आपके दिमाग में सकारात्मक बदलाव आता हैं। बच्चो को बचपन में पंचतंत्र की कहानिया इस लिये पढाई जाती हैं। क्योंकि इससे उनमें संस्कार आते हें। डा प्रितिमा व्यास ने कहा कि आधुनिकता के परिवेश में पुस्तकालयों की दशा में काफी बदलाव आया है। आज पुस्तकालायध्यक्षों की जिम्मेदारी बढ गयी हें। कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन ने कहा कि रंगानाथन एक ऐसी करिश्माई शख्सियत थे, जिन्होने भारतीय पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के तकनीकी पहलुओ में जबर्दस्त बदलाव पैदा किया ।