कोटा। राष्ट्रीय जल बिरादरी- चम्बल संसद के आव्हान पर गंगा दशमी गंगा के अवतरण दिवस पर 1 जून को सायं 6 बजे गोदावरीधाम बाला जी मंदिर के पास चम्बल के तट पर चम्बल की आरती की जाएगी। कोरोना महामारी के प्रभाव व लाॅकडाउन नियमों के तहत दो गज दूरी, मास्क धारण व सेनेटाईजेशन की पालना करते हुए संक्षिप्त व सीमित संख्या में ही प्रवेश दिया जाएगा।
चम्बल संसद के सभापति जीडी पटेल एवं जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि पृथ्वी पर गंगा को लाने के लिए भागीरथ ने तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार 30 अप्रेल को गंगा की उत्पत्ति का दिवस मनाया गया था। गंगा को लोक कल्याण के लिए धरती पर उतारने का काम किया भागीरथ ने अथक तपस्या से गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को किया था।
राष्ट्रीय जल बिरादरी इस दिवस पर चम्बल की महाआरती से प्रदूषण मुक्ति का आगाज करती है। जल बिरादरी का मानना है कि चम्बल भी गंगा की परम्परा की वाहक है और यमुना में मिल कर फिर गंगा में जुड़ कर ही समुद्र में समाती है।