मुंबई। मानसून आने में एक सप्ताह की देर से कपास, सोयाबीन, मूंगफली और दलहनों की बुवाई में देरी हुई है। माना जा रहा है कि इससे आगे फसल की आवक भी धीमी रह सकती है। उद्योग संगठनों ने यह राय व्यक्त किये हैं। भारतीय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स संघ (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया, “इस साल मानसून के आगमन में देरी हुई है, जिससे फसलों की बुवाई में देरी हो सकती है, लेकिन अभी से किसी परिणाम की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी।”
मेहता ने कहा, “सोयाबीन, दलहन और मूंगफली जैसी फसलों की बुआई में 8-10 दिनों की देर हुई है। अभी भी समय है। हालांकि, अगर बारिश में एक सप्ताह से अधिक समय की देर होती है तो यह थोड़ा चिंताजनक होगा क्योंकि किसान अन्य फसलों की ओर रुख कर लेंगे। मानसून ने दक्षिणी राज्य, केरल में सात जून को प्रवेश किया था।
भारत में साल भर की बरसात में मानसून की बारिश का हिस्सा 70 प्रतिशत से भी अधिक का है जो इस देश के फसल उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मेहता ने कहा, समग्र फसल उत्पादन के लिए अंतराल के साथ वर्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है। गुजरात में, कुछ जिलों में चक्रवात वायू के बाद वर्षा हुई, लेकिन बाकी राज्य अभी भी शुष्क हैं।
भारतीय कपास संघ के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने कहा कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे मध्य भारत का भूभाग और महाराष्ट्र जैसे कपास उत्पादक राज्यों में कपास की बुवाई में दो सप्ताह की देर हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जून के पहले सप्ताह के दौरान बारिश हुई थी, जबकि इस साल इन राज्यों में अब तक बारिश नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, “बुवाई में देरी के परिणामस्वरूप फसल की आवक में देरी होगी। आमतौर पर, फसल की आवक अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होती है, अब यह तीसरे या चौथे सप्ताह में आना शुरु होगी। चूंकि मिलों को कपास की आवश्यकता होगी, इसलिए आवक में देर होने से इसकी कीमत प्रभावित हो सकती है।”