कैलाश मानसरोवर जाना अब होगा आसान : गडकरी

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नई दिल्ली।अगले साल से कैलाश मानसरोवर जाना आसान हो जाएगा। श्रद्धालु मार्च 2020 से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के रास्ते सीधे कैलाश मानसरोवर पहुंच सकेंगे। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक इंटरव्यू में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा ‘उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के रास्ते कैलाश मानसरोवर पहुंचने के रास्ते पर काम चल रहा है।

सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ इस काम में वायुसेना की भी मदद ले रहा है। इस परियोजना को अगले साल मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा।’ इस मार्ग के खुल जाने पर तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक से दो दिन में ही भारत लौट सकेंगे। वर्तमान में यह यात्रा सिक्किम के अत्यधिक ठंड, दुर्गम परिस्थितियों वाले रास्तों से होकर गुजरती है जिससे एक से दो हफ्ते तक का समय लग जाता है।

काफी पहले से चल रहा है काम
पिथौरागढ़ से मानसरोवर जाने के लिए नई सड़क बनाना काफी मुश्किल था। इस रास्ते पर काफी समय से काम चल रहा है। हिमालयी क्षेत्र में चट्टानें काट कर राजमार्ग के लिए रास्ता निकाला गया है। इसके लिए खासतौर पर आस्ट्रेलिया से मशीनें मंगाई गई है। इन मशीनों की मदद से कम समय में अधिक पहाड़ काट लिया गया है।

कौन जा सकता है यात्रा पर
इस धार्मिक यात्रा पर केवल वही भारतीय नागरिक जा सकते हैं, जिनके पास भारतीय पासपोर्ट हो। यात्रा शुरू करने से पहले यात्रियों को तैयारी और मेडिकल टेस्ट के लिए 3-4 दिन दिल्ली में ठहरना पड़ता है। 18 से 70 वर्ष की उम्र के लोग यात्रा पर जा सकते हैं।

चार धाम परियोजना एक साल में होगी पूरी
नितिन गडकरी ने कहा है कि उत्तराखंड में चार धाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर सड़क परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है और इसका निर्माण कार्य एक साल में पूरा कर लिया जाएगा। गडकरी ने लगातार दूसरी बार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद पत्रकारों से कहा कि उत्तराखंड में हर मौसम में चारों धाम-गंगोत्री, यमुनोतरी, बदरीनाथ तथा केदानाथ धाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर वे परियोजना का काम लगातार चल रहा है।

इस परियोजना के तहत सड़कों को यातायात को अवरुद्ध किए बिना चौड़ा किया जा रहा है और काफी काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि इस सड़क पर काम पूरा होने के बाद उत्तराखंड में कई जगह हर पल बदलने वाले मौसम की परवाह किए बिना पूरे साल कभी भी चार धामों की यात्रा की जा सकेगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा उत्तराखंड में औली को ज्यादा विकसित करने के लिए वहां बड़े स्तर पर ढांचागत सुविधा उपलब्ध कराने की जरूरत है क्योंकि औली में प्रकृति ने जो खूबसूरती बिखेरी है, वह असाधारण है और इस वजह से औली भारत का डाबोस बन सकता है।