नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रत्याशित रूप से 71,500 करोड़ रुपए से संबंधित बैंक फ्रॉड के 6,800 केस सामने आए हैं। वहीं एक साल पहले समान अवधि यानी 2017-18 में 41,167.03 करोड़ रुपए के फ्रॉड के 5,916 केस हुए थे। रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बयान के माध्यम से यह जानकारी दी है।
आरबीआई (RBI) ने पीटीआई जर्नलिस्ट की एक आरटीआई क्वेरी के जवाब में कहा कि शिड्यूल्ड कमर्शियल बैंक और वित्तीय संस्थानों ने 71,542.93 करोड़ रुपए की धनराशि से जुड़े कुल 6,801 बैंक फ्रॉड के केस दर्ज किए थे। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बीते कुल 11 वित्त वर्षों में बैंकों ने फ्रॉड के 53,334 केस दर्ज किए थे।
इस तरह बढ़ते गए फ्रॉड के मामले
वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान 1,860.09 करोड़ रुपए के कुल 4,372 केस दर्ज किए गए थे। 2009-10 में 1,999.94 करोड़ रुपए से जुड़े फ्रॉड के कुल 4,669 केस सामने आए थे। वहीं 2010-11 और 2011-12 में 3,815.76 करोड़ रुपए और 4,501.15 करोड़ रुपए के फ्रॉड से जुड़े क्रमशः 4,534 और 4,093 केस दर्ज किए गए थे।
आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 में बैंकों ने 8,590.86 करोड़ रुपए से संबंधित फ्रॉड के 4,235 केस दर्ज किए थे, वहीं 2013-14 में 4,306 केस (10,170.81 करोड़ रुपए) और 2014-15 में 4,639 केस (19,455.07 करोड़ रुपए से संबंधित) सामने आए थे।आरबीआई ने कहा कि 2015-16 और 2016-17 में क्रमशः 18,698.82 करोड़ रुपए और 23,933.85 करोड़ रुपए के फ्रॉड से संबंधित 4,693 और 5,076 केस दर्ज किए थे।
सीवीसी ने तैयार की रिपोर्ट
यह डाटा इसलिए भी अहमियत रखता है, क्योंकि बैंक को बीते कुछ साल से नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़ों से जुड़े फ्रॉड के केसेस से जूझना पड़ रहा है। इतने बड़े स्तर पर हुए फ्रॉड्स को देखते हुए एंटी करप्शन वाचडॉग सेंट्रल विजिलैंस कमीशन (सीवीसी) को एक विश्लेषण करना पड़ा और उसे 100 बड़े फ्रॉड्स से जुड़े एक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ी।